आज के समय में डायबिटीज एक आम समस्या बन चुकी है। सिर्फ बुजुर्ग ही नहीं, बल्कि बच्चे भी इस बीमारी का तेजी से शिकार हो रहे हैं। डायबिटीज होने पर शरीर में ब्लड शुगर का स्तर अनियंत्रित तरीके से बढ़ने लगता है, जो घातक साबित हो सकता है। अगर समय रहते ब्लड शुगर को कंट्रोल न किया जाए, तो इससे शरीर के कई प्रमुख अंग डैमेज हो सकते हैं। दुर्भाग्य की बात यह है कि डायबिटीज एक लाइलाज बीमारी है। इसका कोई परमानेंट इलाज नहीं है। सिर्फ दवाओं, स्वस्थ आहार और लाइफस्टाइल में बदलाव से कंट्रोल किया जा सकता है। अगर आप ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करना चाहते हैं, तो आपको अपने खानपान पर विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। ब्लड शुगर को कंट्रोल करने के लिए आप गेहूं के आटे में एक खास चीज को मिक्स करके रोटी बना सकते हैं। आइए, जानते हैं डायबिटीज में गेहूं के आटे में क्या मिलाकर खाएं?
गेहूं के आटे में मिक्स करें चने का आटा
अगर आप डायबिटीज के मरीज हैं, तो गेहूं के आटे की रोटी बनाते समय इसमें चने का आटा मिला सकते हैं। काले चने को पीसकर इसका आटा तैयार किया जाता है। यह ग्लूटेन फ्री होता है और खाने में भी स्वादिष्ट होता है। इस तरह से बनी रोटी खाने से ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में काफी हद तक मदद मिल सकती है। इसके नियमित सेवन से सेहत को कई लाभ मिल सकते हैं।
ब्लड शुगर कंट्रोल करने में कैसे फायदेमंद है चने का आटा?
चने का आटा डायबिटीज के मरीजों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स काम होता है इसलिए यह ब्लड शुगर लेवल को सामान्य रखने में मदद करता है। इसके अलावा, इसमें फाइबर भरपूर मात्रा में मौजूद होता है, जो ब्लड शुगर के साथ-साथ कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है। साथ ही, शरीर में इंसुलिन स्पाइक को रोकने में मदद करता है। इतना ही नहीं, गेहूं और चने के आटे के मिश्रण से बनी रोटियां खाने से पेट लंबे समय तक भरा हुआ रहता है, जिससे वजन घटाने में भी मदद मिल सकती है।
कैसे बनाएं गेहूं-चने के आटे की रोटी?
गेहूं के आटे में एक चौथाई चने का आटा मिक्स करके अच्छी तरह गूंथ लें। इसके बाद इस आटे को ढक कर 30 मिनट के लिए छोड़ दें। अब इस आटे से रोटियां बनाकर सेंक लें। नियमित रूप से इस तरह की रोटी खाने से ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहेगा।Disclaimer: हमारे लेखों में साझा की गई जानकारी केवल इंफॉर्मेशनल उद्देश्यों से शेयर की जा रही है इन्हें डॉक्टर की सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। किसी भी बीमारी या विशिष्ट हेल्थ कंडीशन के लिए स्पेशलिस्ट से परामर्श लेना अनिवार्य होना चाहिए। डॉक्टर/एक्सपर्ट की सलाह के आधार पर ही इलाज की प्रक्रिया शुरु की जानी चाहिए।