वर्षा ऋतु के दौरान फैलने वाले रोगों से बचाव के लिए पशुओं को टीकाकरण आवश्य कराएं
पशु चिकित्सा विभाग के उपसंचालक डॉ. मिश्रा ने जिले के पशुपालकों से टीकाकरण कराने की अपील की
कवर्धा, 30 मई 2024। वर्षा ऋतु के दौरान फैलने वाले रोगों से बचाव के लिए पशु चिकित्सा विभाग के उपसंचालक डॉ. एसके मिश्रा ने जिले के पशुपालकों से अपील करते हुए कहा है कि आगामी समय में अपने-अपने पशुओं का शत्-प्रतिशत टीकाकरण अवश्य कराएं। वर्षा ऋतु के दौरान पशुओं में फैलने वाले रोगों से बचाव के लिए टीकाकरण ही कारगार उपाय है।
पशु चिकित्सा विभाग के उपसंचालक डॉ. मिश्रा ने बताया कि वर्षा ऋतु के समय पशुओं में विभिन्न प्रकार के भू-जन्य रोगों के फैलने की आशंका रहती है। इस दौरान गौवंशीय एवं भैंसवंशीय पशुओं में मुख्य रूप से गलघोंटू एवं एकटंगिया रोगों का संक्रमण होता है। गलघोंटू एक जीवाणु जनित रोग है, जिसमें संक्रमित पशुओं में तेज बुखार, नाक व मुंह से लगातार पानी का निकलना, निमोनिया के लक्षण तथा गले से घर्र-घर्र की आवाज आती है। एकटंगिया रोग भी जीवाणु जनित रोग है, जिसमें अधिकतर 06 माह से 02 साल उम्र के गौवंशीय एवं भैंसवंशीय पशु संक्रमित होते हैं। इस रोग से ग्रसित पशुओं में तेज बुखार, लंगड़ापन, भारी मांसपेशियों में सूजन तथा दबाने पर चर्र-चर्र की आवाज आती है। दोनो ही रोगों से ग्रसित पशुओं को तत्काल उपचार नहीं मिलने से उनकी मृत्यु हो सकती है। इसलिए टीकाकरण के माध्यम से ही गलघोंटू एवं एकटंगिया रोगों से बचाव संभव है।
इसी प्रकार गौवंशीय तथा भैंसवंशीय पशुओं में आजकल “लम्पी स्किन डिसीज” नामक नया एवं इमर्जिंग रोग परिलक्षित हो रहा है। “लम्पी स्किन डिसीज” गौ-वंशीय तथा भैंस-वंशीय पशुओं में होने वाला एक विषाणु जनित संक्रामक रोग है, जो मच्छरों, मक्खियों तथा किलनियों के काटने से फैलता है। इस रोग में बुखार के साथ संक्रमित पशुओं के पूरे शरीर पर छोटी-छोटी गुठलियाँ बन जाती है, जो बाद में घाव में बदल जाती है। इस रोग में गोल-गोल दाने त्वचा के अतिरिक्त मुंह, ग्रसनी, श्वसन तंत्र इत्यादि में भी पाये जा सकते हैं। रोग से ग्रसित पशुओं में बढ़े हुए लसिका गं्रथि, पैरों तथा पेट के निचले हिस्से में पानी वाला सूजन, दुधारू पशुओं के दूध उत्पादन में कमी, गर्भपात, बाँझपन जैसे लक्षण तथा कभी-कभी पशुओं की मृत्यु भी हो सकती है। यह रोग बहुत तेजी से फैलता है, इसलिए टीकाकरण से ही बचाव संभव है।