कटघोरा-मुंगेली-कवर्धा-डोंगरगढ़ रेल लाइन के लिए जमीन अधिग्रहण का काम लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद शुरू हो जाएगा। इसका कारण है कि प्रदेश सरकार ने इस प्रोजेक्ट के तहत अपने हिस्से के 300 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया है। जल्द ही सेंट्रल रेलवे, महाराष्ट्र की पावर जनरेशन कंपनी और आर्यन कोल बेनिफिशियरी लिमिटेड अपने-अपने हिस्से की राशि देने वाले हैं।
इन सभी कंपनियों को सवा चार सौ करोड़ का शेयर देना है। इसमें से छत्तीसगढ़ रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने अपने हिस्से का भुगतान पूरा कर दिया है। जमीन अधिग्रहण के लिए प्रोजेक्ट की कुल लागत 7 हजार करोड़ रुपए का 25% राशि की आवश्यकता होगी। इस तरह 25% के हिसाब से करीब 1750 करोड़ रुपए से भूमि अधिग्रहण शुरू होगा।
2016 में एमओयू, 2018 में शिलान्यास, फिर भी काम नहीं
कटघोरा-मुंगेली-कवर्धा-डोंगरगढ़ रेल लाइन प्रोजेक्ट को लेकर 9 फरवरी 2016 को छत्तीसगढ़ सरकार और रेल मंत्रालय के बीच एमओयू हुआ। इसके बाद प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए 7 दिसंबर 2016 को छत्तीसगढ़ रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड नामक कंपनी स्थापित की गई। यही नहीं साल 2018 में होने वाले विधानसभा चुनाव के ठीक पहले 6 अक्टूबर को इस परियोजना का शिलान्यास तात्कालीन केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने किया था। चुनाव के बाद राज्य में कांग्रेस की सरकार आ गई और यह परियोजना एक बार फिर से ठंडे बस्ते में चली गई। अब भाजपा की सरकार आने के बाद एक बार फिर से इस परियोजना में तेजी आई है।
कटघोरा-मुंगेली-कवर्धा-डोंगरगढ़ रेल लाइन प्रोजेक्ट से जुड़ी प्रमुख बातें –
- 9 फरवरी 2016 को इस रूट के लिए राज्य सरकार और रेल मंत्रालय के बीच एमओयू हुआ।
- 7 दिसंबर 2016 को छत्तीसगढ़ रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड का कंपनी स्थापित की गई।
- रूट की कुल लंबाई – 294.59 किलोमीटर
- प्रस्तावित स्टेशनों की कुल संख्या – 25
- प्रमुख स्टेशन – कटघोरा, रतनपुर, मुंगेली, कवर्धा, खैरागढ़
- परियोजना के लिए अनुमानित भूमि – 1794 हेक्टेयर
- 6 अक्टूबर 2018 को तात्कालीन रेल मंत्री पीयूष गोयल इस रेल परियोजना का शिलान्यास किया
बजट में प्रावधान, केंद्र सरकार से भी हो चुकी है बात
डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने बताया कि हमारी सरकार ने इस प्रोजेक्ट के लिए बजट में 300 करोड़ रुपए का प्रावधान किया था। यह राशि जारी कर दी गई है। प्रदेश के हिस्से करीब सवा चार सौ करोड़ रुपए थे, जिसमें से शेष राशि का भुगतान पहले ही किया जा चुका है। अब रही केंद्र सरकार के साथ महाराष्ट्र पावर कंपनी और आर्यन कोल फील्ड की तो उनसे बातचीत जारी है। आचार संहिता हटते ही केंद्र से पैसे मिल जाएंगे। वहीं दो अन्य कंपनियों से जल्द ही भुगतान के संबंध में बात हो चुकी है।
5 साल में 1050 करोड़ लागत बढ़ गई
पांच साल पहले कटघोरा-डोंगरगढ़ रेल लाइन प्रोजेक्ट की लागत 5950 करोड़ रुपए थी, जो अब बढ़कर 7 हजार करोड़ रुपए तक पहुंच चुकी है। डिप्टी सीएम का कहना है कि परियोजना पर यदि कांग्रेस की सरकार ध्यान देती तो ये स्थिति नहीं होती। कांग्रेस के चलते ही लागत 1050 करोड़ रुपए बढ़ गई है।