नर्मदापुरम.विवाह होने के बाद पति-पत्नी की तमन्ना होती है कि उनका जीवन खुशियों से भरा रहे. इन्हीं में से एक प्रमुख चीज संतान होती है. जिनके बिना परिवार और शादी सुदा जीवन अधूरा होता है. हम सभी जानते है कि शादी के बाद कई लोगों को बच्चो की खुशी लेट से मिलती है.
ज्योतिषाचार्य पंडित पंकज पाठक संतान से जुड़ी बात को विस्तार से बताया गया है. शास्त्र के अनुसार वैसे तो कई प्रकार के श्राप या योग होते हैं. जिनकी वजह से व्यक्ति को संतान सुख प्राप्त नहीं होता है. अगर किसी प्रकार व्यक्ति को संतान की प्राप्ति होती है तो वह गर्व में ही समाप्त हो जाता है या फिर उसकी मृत्यु हो जाती है. तो आईये हम जानते है कि ऐसे कौन कौन से श्राप है जिनके कारण व्यक्ति को संतान प्राप्ति नही होती. जनिये इनसे बचने के उपाय हैइन 9 श्रापों के कारण नही मिलता संतान सुख
1. सर्प श्राप:- यह श्राप व्यक्ति के जीवन में राहु ग्रह के कारण बनता है. इस श्राप के 8 प्रकार बताएं गए हैं. इस श्राप से मुक्ति पाने आपको नाग की प्रतिमा बनाकर विधिवत पूजन करना चाहिए. इसके साथ ही हवन,दान करना चाहिए. ऐसा करने से नागराज आप पर प्रसन्न होंगे. इसके बाद आपको इस श्राप से मुक्ति मिल सकती, क्योंकि ऐसा करने से इसका प्रभाव नष्ट हो जाता है.पितृ श्राप:- इस श्राप के कुल 11 दोष या योग होते है. यह दोष सूर्य ग्रह से संबंधित होता है. इसके अलावा अष्टम स्थान में राहु या अष्टमेश राहु से पापाक्रांत हो तो इसको पितृ दोष या पितर श्राप भी कहा गया है. यदि किसी जातक ने गतजन्म में अपने पिता के प्रति कोई अपराध किया है, तो उसे इस जन्म संतान कष्ट होता है. इसके उपाय हेतु पितृश्राद्ध करना चाहिए
मातृ श्राप:- इस श्राप में मंगल, शनि और राहु से बनने वाले ये कुल 13 प्रकार के योग है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पंचमेश और चंद्रमा के संबंधों पर आधारित यह योग बनता है. इसके लिए इन्हें ग्रहों की शांति कराना चाहिए. यह श्राप गत जन्म किसी जातक ने यदि अपनी माता को किसी भी प्रकार का कष्ट दिया हो, तो यह श्राप लगता है. इसके उपाय के लिए व्यक्ति को माता की सेवा करना जरूरी है.
भ्रातृ श्राप:- यह योग पंचम भाव मंगल और राहु के चलते बनता है. यह कुल 13प्रकार का है. जिस किसी व्यक्ति ने गत जन्म में अपने भाई के प्रति कोई अपराध किया हो, या उसे कष्ट पहुंचाया हो तो यह श्राप बनता है. इसके उपाय हेतु आपको हनुमान चालीसा का रोजाना पाठ करना होगा. साथ ही हरिवंश पुराण का श्रवण करना होगा. इसके अलावा चंद्रयान व्रत कर विधि विधान पूर्वक पूजा करनी होगी. साथ में पवित्र नदियों के किनारे शालिग्राम के सामने पीपल का वृक्ष लगाना होगा और उसकी पूजन करनी होगी. तब इस श्राप से आपको छुटकारा मिलेगा.
5. मामा(मातुल) का श्राप:- इस योग में शनि, बुध का विशेष योगदान होता है. यह पंचम भाव में बुध, गुरु, मंगल एवं राहु लग्न में शनि के चलते बनता है. साथ ही कहते हैं, कि पिछले जन्म में जिस व्यक्ति ने अपने मां के प्रति बुरा किया हो, या उन्हें किसी प्रकार का कष्ट पहुंचा हो, तो कुंडली में यह योग बनता है. इसके उपाय हेतु कुआ, बावड़ी, तालाब जैसी चीज बनवाने का विधान बताया गया है. इसके बाद उन स्थानों पर भगवान श्री नारायण की मूर्ति स्थापना कर उनकी पूजन करने से इस योग से छुटकारा मिलेगा.ब्रह्म श्राप:- यह योग 9वे भाव मे ग़ुरू, राहु या पापी ग्रहों से बनता है. यह योग दोष 7 प्रकार का होता है. बताया जाता है कि पिछले जन्म में जिस किसी व्यक्ति ने किसी ब्राह्मण या अपने गुरु के साथ बुरा किया हो, या उन्हें कष्ट दिया हो, तो यह श्राप बनता है. इस श्राप से मुक्ति पाने के लिए पितृ शांति करने के साथ प्रायश्चित स्वरूप ब्राह्मणों को भोजन करा कर उन्हें दक्षिण देना चाहिए. ऐसा करने से आपको इस श्राप से मुक्ति मिलेगी.पत्नी का श्राप:- जानकारी के अनुसार यदि किसी व्यक्ति ने पिछले जन्म में अपनी पत्नी को मृत्यु जैसा कष्ट दिया हो, या फिर उसे हद से ज्यादा पीड़ा दी हो, तब यह योग बनता है. यह योग सप्तम भाव में पाप ग्रहों के चलते बनता है. यह योग कुल 11 प्रकार का होता है. इससे मुक्ति पाने के लिए आपको छोटी कन्याओं को भोजन करना चाहिए. इसके साथ ही हो सके तो किसी निधन व्यक्ति के घर की कन्या का विवाह करना चाहिए. ऐसा करने से इस श्राप से छुटकारा मिलेगा.प्रेत श्राप:- यह योग कुंडली में खासकर सूर्य और 9वे भाव से संबंधित होता है. यह योग कुल 9बताए गए हैं. ज्योतिषाचार्य के अनुसार बताया गया कि जिस किसी व्यक्ति ने अपने पिछले जन्म में पितरों का श्राद्ध नहीं करता है, तो इसके कारण उससे पितृ नाराज होते हैं. ऐसे व्यक्ति के यहां अगले जन्म में संतान की प्राप्ति नहीं होती. इस श्राप से मुक्ति पाने के लिए व्यक्ति को पितृश्राद्ध करना जरूरी है. तभी इस श्राप से इन्हें मुक्ति मिलेगी और इन्हें संतान की प्राप्ति होगी.ग्रह दोष:- व्यक्ति की कुंडली में ग्रह दोष कई प्रकार के होते हैं. जैसे की बुध और शुक्र के दोष मैं संतान हानि हो रही है. इसके लिए भगवान शंकर की पूजा करना चाहिए. इसके अलावा गुरु और चंद्र के दोष में संतान गोपाल का पाठ करना चाहिए या फिर यंत्र और औषधि का सेवन करना चाहिए. राहु के दोष से कन्यादान करें. सूर्य के दोष से भगवान विष्णु की आराधना करें. मंगल और शनि के दोष से षडंगशतरुद्रीयजाप करना चाहिए. ऐसा करने से यह दोषों से छुटकारा मिलेगा.