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CG Politics: किसका खेल बिगाड़ रहा है राजनांदगांव, भाजपा के सर्वे में 5 सीटों पर मुकाबला बराबरी का….इसलिए मोदी-शाह उतरे मैदान में

रायपुर (श्रीकंचनपथ न्यूज़)। राजनांदगांव में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मौजूदगी ने लोकसभा चुनाव को रोमांचक मोड़ की राह दिखा दी है। भाजपा ने यहां अपने वर्तमान सांसद संतोष पाण्डेय को टिकट दिया है, लेकिन भाजपा के अपने आंतरिक सर्वे में इस सीट पर कड़ी टक्कर की संभावना जाहिर की गई है। शायद यही वजह है कि राजनांदगांव व आसपास के क्षेत्रों में भाजपा के स्टार प्रचारकों के लगातार दौरे हो रहे हैं। इस सीट पर 26 अप्रैल को वोटिंग है, जबकि चुनावी शोर बुधवार शाम को थमने जा रहा है। कहा जा रहा है कि छत्तीसगढ़ में इस बार भाजपा 5 सीटों पर फँसी हुई है। एक ओर जहां भाजपा राज्य की सभी 11 सीटें जीतने के दावे कर रही है, वहीं कांग्रेस ने भी पहले से ज्यादा सीटें जीतने की बात कही है। ऐसे में राजनांदगांव समेत कुल 5 सीटों के मुकाबले पर न केवल छत्तीसगढ़ अपितु दिल्ली तक की नजर है।

भाजपा के अपने आंतरिक सर्वे में छत्तीसगढ़ में 5 सीटों पर पार्टी की स्थिति संतोषजनक नहीं पाई गई थी। इनमें राजनांदगांव की सीट भी शामिल है। भाजपा के दिग्गज नेता जिन इलाकों पर ज्यादा फोकस कर रहे हैं या दौरा, सभाएं कर रहे हैं, उन सीटों को भी कमजोर माना जा रहा है। दरअसल, भाजपा ने अलग राज्य बनने के बाद कांग्रेस को यहां पैर जमाने का बहुत ज्यादा अवसर नहीं दिया है। कांग्रेस अब तक यहां लोकसभा की एक या दो सीटें ही जीतती रही है। वहीं एक-एक सीट को महत्वपूर्ण मान रही भाजपा के लिए छत्तीसगढ़ में अपना पुराना रिकार्ड बनाए रखना काफी चुनौतीपूर्ण हो गया है। इसीलिए केन्द्र सरकार के नंबर वन और टू ने यहां न केवल फोकस किया है, अपितु रात्रि विश्राम कर संगठन को कसने और स्थितियों को अपने अनुकूल करने में लगे हुए हैं। पार्टी के नेताओं का दावा है कि इस बार भी कांग्रेस का प्रदर्शन कोई करिश्मा नहीं करने जा रहा है। इस सीट पर कुल 15 प्रत्याशी मैदान में हैं। इनमें 13 पुरूष और 2 महिलाएं शामिल हैं।

गौरतलब है कि पीएम मोदी की बुधवार को छत्तीसगढ़ में 4 जनसभा हुई है, जबकि 23 अप्रैल को उन्होंने जांजगीर और महासमुंद लोकसभा सीटों में जनसभा की। प्रथम चरण में पीएम मोदी की बस्तर में सभा हो चुकी है। इसी तरह केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह की छत्तीसगढ़ में अब तक 3 सभाएं हो चुकी है। रायपुर में रात रूककर संगठन की बैठक में वे 11 सीटों की समीक्षा कर चुके हैं। इनके अलावा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा 22 अप्रैल को छत्तीसगढ़ की तीन लोकसभा सीटों बिलासपुर, दुर्ग और रायपुर में जनसभा कर भाजपा को जिताने की अपील कर चुके हैं। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की राजनांदगांव, कोरबा और बिलासपुर लोकसभा सीटों पर जनसभा हो चुकी है तो केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का 13 अप्रैल को बस्तर और कांकेर लोकसभा सीट में दौरा हो चुका है।

दूसरे चरण में 3 सीटों पर कड़ी टक्कर
लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में राज्य की राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर सीटों पर वोट डाले जाएंगे। पहले चरण में बस्तर में मतदाताओं ने अपना निर्णय दे दिया है। राजनांदगांव से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और भाजपा के संतोष पाण्डेय आमने-सामने हैं। वहीं नक्सल प्रभावित कांकेर लोकसभा सीट पर भाजपा से पूर्व विधायक भोजराज नाग और कांग्रेस से बिरेश ठाकुर चुनाव मैदान में हैं। महासमुंद क्षेत्र से कांग्रेस ने पूर्व गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू को टिकट दिया है, जबकि भाजपा से रूपकुमारी चौधरी प्रत्याशी हैं। माना जा रहा है कि दूसरे चरण की तीनों सीटों पर इस बार कड़ी टक्कर हो सकती है। सबकी निगाहें इन सीटों पर होने वाली वोटिंग पर टिकी हुई है। तीनों में से सर्वाधिक रोमांचक मुकाबला राजनांदगांव सीट पर होने की संभावना है। हालांकि इस सीट पर भाजपा का दबदबा रहा है। यहां भाजपा के लिए अमित शाह व योगी आदित्यनाथ चुनावी माहौल बना चुके हैं। जबकि भूपेश बघेल के पक्ष में हाल ही में प्रियंका गांधी वाड्रा ने जनसभा कर प्रचार किया था।

भाजपा ने झोंकी ताकत
भाजपा प्रत्याशी संतोष पांडेय को जीताने के लिए पार्टी के सभी बड़े नेताओं ने ताकत झोंकी। ऐसे में कांग्रेस के भूपेश बघेल ऐसे चक्रव्यूह में फंसते दिखे हैं जिसे भेदना आसान नहीं है। दिल्ली पहुंचने के लिए बघेल ने दिन-रात एक कर दिया। बघेल को ग्रामीण इलाकों से ज्यादा उम्मीद है, इसलिए राजनांदगांव, जहां से पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह विधायक हैं, जैसे इलाकों को छोड़कर वे खैरागढ़, डोगरगांव, कवर्धा और पंडरिया जैसे इलाकों पर ज्यादा जोर लगा रहे हैं। क्षेत्र की आठ विधानसभा सीटों में से पांच पर कांग्रेस का कब्जा है, इसलिए कांग्रेस को बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है। हालांकि कांग्रेस शासनकाल के दौरान राजनांदगांव क्षेत्र की उपेक्षा का आरोप भी लग रहा है। लोगों का कहना है कि क्षेत्र की इसलिए भी उपेक्षा की गई क्योंकि यहां का प्रतिनिधित्व डॉ. रमन सिंह कर रहे थे। ऐसे में बघेल अपनी हर जनसभा में ये जरूर बताते रहे हैं कि वो राजनांदगांव के लिए किस तरह से विकास का काम करेंगे।

ग्रामीण क्षेत्रों पर ज्यादा फोकस
कांग्रेस प्रत्याशी भूपेश बघेल ने शहरी या नगरीय इलाकों की बजाए ग्रामीण इलाकों पर फोकस किया है। दरअसल, मुख्यमंत्री रहते बघेल ने गांव, गरीब और किसानों के हित की बात कही थी। यही वजह है कि वे ग्रामीण मतदाताओं तक पहुंचकर अपनी सरकार के कार्यों को बताने में लगे रहे हैं। इधर, भाजपा इसे गुजरे कल की बातें कह रही है। उसका कहना है कि भूपेश बघेल की सरकार ने काम कम किया और शोर ज्यादा मचाया। जबकि भाजपा की सरकार बनने के बाद पार्टी ने आम लोगों की फिक्र की। खासतौर पर महतारी योजना के तहत महिलाओं के पल्लू में एक हजार रूपए बांधने का काम किया। इस योजना का लाभ शहरों के साथ ही ग्रामीण महिलाओं को भी मिल रहा है। इसके अलावा मोदी की अन्य गारंटियों को भी लागू कर किसानों की जेब में रूपए डाले गए हैं। भाजपा की इन कोशिशों से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिला है, और इसका असर भी दिख रहा है।

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