हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व माना गया है। पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से अमावस्या तक पितृ पक्ष रहता है। इस समय पितरों का श्राद्ध, तर्पण, दान-पुण्य और पिंडदान करने का विधान है। मान्यता है कि ऐसा करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और घर-परिवार को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। वहीं, अक्सर लोग इस दौरान अपने घर में पूर्वजों की तस्वीर लगाकर उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। लेकिन वास्तु शास्त्र के अनुसार पितरों की तस्वीर लगाने के कुछ खास नियम बताए गए हैं। माना जाता है कि इन नियमों का पालन करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जबकि अनदेखी करने पर अशुभ परिणाम भी सामने आ सकते हैं। तो चलिए जानते हैं पितरों की तस्वीर लगाने के वास्तु नियम…
देवी-देवताओं के साथ न लगाएं पितरों की तस्वीर
वास्तु शास्त्र कहता है कि पूर्वजों की तस्वीर को कभी भी देवी-देवताओं की मूर्ति या तस्वीर के साथ नहीं लगाना चाहिए। ऐसा करने से घर में ऊर्जा का संतुलन बिगड़ सकता है। इसके अलावा पितरों की तस्वीर को जीवित व्यक्ति की फोटो के साथ भी नहीं रखना चाहिए। माना जाता है कि इससे परिवार में अनबन और अशांति बढ़ सकती है।
बेडरूम और रसोईघर में न लगाएं तस्वीर
अक्सर लोग बेडरूम में भी पूर्वजों की फोटो लगा लेते हैं, लेकिन वास्तु के अनुसार ऐसा करना शुभ नहीं माना जाता है। पितरों की तस्वीर को कभी भी बेडरूम, रसोईघर या घर के मंदिर में नहीं लगाना चाहिए। क्योंकि इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ सकता है और परिवार के सदस्यों के बीच तनाव की स्थिति बन सकती है।
पितरों की तस्वीर लगाने की सही दिशा
वास्तु के अनुसार पूर्वजों की तस्वीर हमेशा दक्षिण दिशा की दीवार पर ही लगानी चाहिए। दक्षिण दिशा को पितरों की दिशा माना जाता है। इस दिशा में फोटो लगाने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और घर-परिवार को अपना आशीर्वाद देते हैं।
तस्वीर को दीवार पर न लटकाएं
कई लोग पितरों की तस्वीर को दीवार पर टांग देते हैं, लेकिन वास्तु के अनुसार ऐसा नहीं करना चाहिए। तस्वीर को दीवार पर लटकाने से वास्तु दोष उत्पन्न हो सकता है। इसके बजाय पितरों की तस्वीर को किसी साफ-सुथरे स्टैंड या टेबल पर रखना चाहिए। ऐसा करने से सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।