प्रदर्शन की सूचना मिलते ही पहुंचे महापौर व आयुक्त ने की चर्चा
भिलाई। तीन महीने का वेतन नहीं मिलने से आर्थिक समस्या का सामना कर रहे भिलाई-चरोदा नगर निगम के कर्मचारियों का आक्रोश आज फूट पड़ा। सुबह समूह में पहुंचे कर्मचारियों ने निगम के भिलाई-3 स्थित मुख्य कार्यालय के प्रवेश द्वार पर ताला जड़कर बाहर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। इस बात की जानकारी लगते ही महापौर निर्मल कोसरे और निगम आयुक्त डीएस राजपूत भागे-भागे कार्यालय पहुंचे। महापौर ने कर्मचारियों के प्रतिनिधिमंडल से चर्चा हेतु अपने कक्ष में आमंत्रित किया।
भिलाई-चरोदा नगर निगम के कर्मचारियों को पिछले जून, जुलाई और अगस्त महीने का वेतन नहीं मिल पाया है। निगम प्रशासन आर्थिक स्थिति अनुकूल नहीं होने का हवाला देकर दो से तीन महीने में एक बार कर्मचारियों को वेतन दे रही है। कर्मचारियों को इसके चलते पारिवारिक दायित्व निर्वहन में कठिनाई आ रही है। लिहाजा आज कर्मचारियों का आक्रोश फूट पड़ा। कार्यालयीन समय पर पहुंचे कर्मचारियों ने वेतन नहीं मिलने के मुद्दे पर आपसी चर्चा करने के बाद निगम आयुक्त डीएस राजपूत से मिलने का निर्णय लिया। लेकिन तब तक निगम आयुक्त और कोई भी बड़ा अधिकारी कार्यालय नहीं पहुंचा था। इससे आक्रोश में आकर कर्मचारियों ने निगम कार्यालय के मुख्य द्वार पर ताला जड़ दिया और बाहर धरना प्रदर्शन करते हुए नारेबाजी करने लगे।
भारतीय मजदूर संघ से संबद्ध स्वायत्तशासी कर्मचारी संघ के प्रदेश स्तरीय नेता व निगम कर्मचारी रामवतार साहू ने बताया कि पिछले तीन महीने से कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला है। इससे घर परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है। सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को उनका नियमानुसार भुगतान नहीं किया जा रहा है। सीपीएफ-जीपीएफ सहित अन्य मदों में निगम प्रशासन नियमित कटौती कर वेतन भुगतान करता है। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों से भी प्रतिमाह चार से पांच हजार रुपए कटौती कर उसकी जानकारी वेतन पर्ची पर दी जा रही है। लेकिन कटौती की यह राशि कहा जा रही है यह पता ही नहीं चल पा रहा है। अनुमान के अनुसार यह राशि ढाई से तीन करोड़ की होगी। कर्मचारियों के वेतन से कटौती करने के बावजूद सेवा निवृत्त होने पर राशि नहीं मिलना निगम प्रशासन की भूमिका और कार्यशैली को संदिग्ध बना रहा है।

तीन मांगों पर मिला आश्वासन
महापौर निर्मल कोसरे और आयुक्त डीएस राजपूत के साथ कर्मचारियों के प्रतिनिधिमंडल की चर्चा में तीन मांगों पर सहमति दी गई। इसमें तीन में से एक महीने का वेतन तत्काल बैंक खातों में भेजने का निर्देश दिया गया। वहीं सेवानिवृत्त होने के बाद जीवित व दिवंगत हो चुके लगभग 40 कर्मचारियों के बकाया अंतिम भुगतान 15 दिन के भीतर करने का आश्वासन दिया गया। वहीं नियमित रूप से कार्यरत कर्मचारियों के वेतन से कटौती के बावजूद वर्ष 2022 से अब तक राशि को सीपीएफ और जीपीएस खाते में जमा नहीं किया गया है। इसमें से एक वर्ष की कटौती वाली राशि को दिसंबर महीने तक उनके सीपीएफ और जीपीएफ खाते में जमा कराने का आश्वासन दिया गया। इसके बाद कर्मचारियों ने हड़ताल खत्म कर कामकाज शुरू कर दिया।
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