-दीपक रंजन दास
प्यार में धोखा खाकर हर शख्स देवदास नहीं बन जाता. पेड़ों के नीचे, बारिश में भीगते या पहाड़ों-रेगिस्तानों में गाना गाने वाले टूटे दिल वालों को लोगों ने फिल्मों में ही ज्यादा देखा होगा. ऐसा एक सीन क्रिएट करने के लिए जबरदस्त स्टोरी, शानदार लिरिक्स, जानदार म्यूजिक और एक खालिस अभिनेता की दरकार होती है. इसलिए ऐसा सिर्फ फिल्मों में ही हो पाता है. वास्तविक प्रेम संबंध इससे बहुत अलग हो सकते हैं. शायद इसीलिए भारतीय समाज प्रेम सिर्फ ईश्वर से करने में यकीन करता था. इसके अलावा जिस एक प्यार से उसका वास्ता रहा है वह है वैवाहिक जीवन में साथ रहते हुए उत्पन्न हुई समर्पण की भावना. इसलिए भारतीय समाज युवाओं के प्रेम के खिलाफ रहा है. समाज का मानना रहा है कि युवाओं में पहला प्रेम शारीरिक आकर्षण के कारण होता है. बाद में दोनों की प्राथमिकताएं अलग हो सकती हैं. इसी को आज हम घड़ी-घड़ी ब्रेकअप के रूप में देख रहे हैं. पर हर ब्रेकअप इतना आसान भी नहीं होता. प्यार की जड़ें अगर बहुत गहरी हों तो आघात भी गहरा लगता है. इतनी बातें आज इसलिए कि बेंगलुरू से हत्या की दो खबरें सामने आई हैं. एक 25 वर्षीय टेक इंजीनियर ने अपनी 33 साल की प्रेमिका को चाकू से गोद कर मार डाला. इसी शहर के अनेकल इलाके में एक वारदात और हो गई. यहां एक पति ने अपनी पत्नी का सिर धड़ से अलग कर दिया औऱ फिर थाने जाकर सरेंडर कर दिया. ऐसा नहीं है कि ऐसी घटनाओं को केवल पुरुष अंजाम दे रहे हैं. प्यार की खातिर हत्या करने में महिलाएं भी अब पीछे नहीं रहीं. नीला ड्रम तो पिछले दिनों मीम्स से लेकर रील्स औऱ शार्ट्स तक छाया रहा. यह सारी समस्याएं तब और बढ़ जाती हैं जब हम बच्चों को भावनात्मक रूप से मजबूत बनाना भूल जाते हैं. इसलिए संबंधों से उनकी अपेक्षाएं बढ़ जाती हैं. जब ये अपेक्षाएं पूरी नहीं होतीं तो प्यार का भाव नफरत में बदलने लगता है. फिर एक छोटी सी चिंगारी उसे दावानल में बदल सकती है. यही चिंगारी कभी घरेलू हिंसा के रूप में सामने आती है तो कभी एसिड अटैक तो कभी सीधे हत्या. ऐसी कई घटनाएं देश में हो चुकी हैं जिसमें अपने पार्टनर की हत्या करने के बाद लोगों ने स्वयं थाने में जाकर सरेंडर कर दिया. अदालत में भी ऐसे अपराधी चुपचाप अपना जुर्म कबूल कर लेते हैं और जो सजा मिलती है, उसे स्वीकार कर लेते हैं. दरअसल, यह हत्या और आत्महत्या जैसा ही मामला होता है. व्यक्ति को लगने लगता है कि जिसे वह मार रहा है, उसके बिना वैसे भी उसकी जिन्दगी कुछ नहीं है. इस समस्या से बचने का एक ही तरीका है कि हम समाज को रिजेक्शन सहने के लिए तैयार करें. रिलेशनशिप को बहुत आगे तक ले जाने से पहले कपल खूब सावधान रहे. जोश में कमिटमेंट करने से बचे.
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