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इन हाउस मॉडल से आधार आपरेटर्स पर बेरोजगारी का संकट, किट की कमी से बंद होगा काम

आधार ऑपरेटर्स ने इन-हाउस मॉडल सहित अन्य समस्याओं पर रखी अपनी बात

भिलाई। इन दिनों दुर्ग जिले में काम करने वाले आधार ऑपरेटर्स पर बेरोजगारी का संकट मंडरा रहा है। इन-हाउस मॉडल के कारण दुर्ग जिले के ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में सेवा देने वाले 35 से 40 आधार ऑपरेटर्स का काम बंद हो जाएगा। पर्याप्त मात्रा में किट उपलब्ध नहीं होने के कारण यह समस्या सामने आई है। ऑपरेटर्स का अनुरोध है कि इन-हाउस मॉडल को केवल उन जगहों पर लागू किया जाए जहां किट उपलब्ध हैं, और शेष आधार केंद्रों को तब तक यथावत चलने दिया जाए जब तक कि दूसरे चरण में किट उपलब्ध न हो, तथपश्चात बचे आधार सेंटर को इनहाउस माडल में परिवर्तित किया जाए।

इन-हाउस मॉडल के तहत आधार ऑपरेटर्स को 1.50 लाख रुपए की सिक्योरिटी राशि जमा करने कहा जा रहा है जो कि अत्यधिक है। छत्तीसगढ़ आधार सेवा समिति की मांग है कि इसे कम कर 50000 रुपए की एफडी राशि को ज्वाइंट एफडी के रूप में लिया जाए, जैसा कि ई-डिस्ट्रीक में होता था। ऑपरेटर्स ने मांग की है कि चिप्स (CHIPS) द्वारा आधार कार्य में हुई त्रुटियों पर पेनाल्टी लिस्ट जारी की गई है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि किस त्रुटि के लिए कितनी पेनाल्टी है और वह किस समय की है। इसके अतिरिक्त, उन्हें 2021 के बाद नए पंजीकरण और अनिवार्य बायोमेट्रिक से मिलने वाले कमीशन का हिसाब और भुगतान नहीं मिला है। आपसे अनुरोध किया है कि पेनाल्टी और कमीशन का विवरण उपलब्ध करावाये ।

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लोक सेवा केंद्र आधार संचालन की मिले अनुमति
समित के आधार आपरेटर्स का कहना है कि वर्तमान में लोक सेवा केंद्र सरकारी स्थानों पर चल रहे हैं, जहां सभी लोक सेवा केंद्र के लोक सेवक आधार ऑपरेटर्स भी हैं और आधार का काम कर रहे हैं। ऑपरेटर्स के निलंबन के बाद जब आधार का काम फिर से शुरू होता है, तो उन्हें किसी अन्य स्थान पर काम करने के लिए भेजा जाता है, जिससे उन्हें लोक सेवा का कार्य करने में समस्या होती है। समिति ने अनुरोध किया है कि लोक सेवा केंद्र के आधार ऑपरेटर्स को उनके सेवा केंद्र में ही आधार संचालन की अनुमति दी जाए।

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आधार ऑपरेटर्स और चिप्स के कार्य में हो पारदर्शिता
आधार के काम में त्रुटि होने पर 1,000 से 1 लाख रुपए तक का जुर्माना और 1 साल से 5 साल तक के निलंबन का प्रावधान है। ऑपरेटर्स का कहना है कि वे जानबूझकर गलती नहीं करते हैं और नियमों के अनुसार ही दस्तावेज लेते हैं और काम करते हैं। इसके बावजूद पैकेट रिजेक्ट हो जाते हैं। उन्हें रिजेक्शन का विवरण या कारण नहीं बताया जाता है, जिससे वे गलती में सुधार नहीं कर पाते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि यूआईडीएआई की सूची के अनुसार नाम की त्रुटि और विवाह प्रमाण पत्र से विवाहित महिला का उपनाम बदला जा सकता है, लेकिन इन दस्तावेजों से 60 से 70% आवेदन अमान्य आईडी के कारण खारिज हो जाते हैं।

समाज दस्तावेज होने के बाद भी आवेदन खारिज
आधार आपरेटर्स का कहना है कि उन्हें यह समझ नहीं आया कि कुछ लोगों का काम उसी दस्तावेज से बन गया, जबकि दूसरों का खारिज हो क्यों जाता है। नाम परिवर्तन के लिए राजपत्र प्रकाशन के साथ पुराने नाम का एक आईडी चाहिए होता है, जो 18 वर्ष से अधिक उम्र के आवेदकों के लिए उपलब्ध होता है, लेकिन 18 वर्ष से कम उम्र के लोगों के पास ऐसा कोई दस्तावेज नहीं होता है। ऑपरेटर्स ने बताया कि उन्हें प्रशिक्षण में कभी स्कूल आईडी लगाने को कहा गया, फिर खाता लगाने को कहा गया, लेकिन दोनों ही मामलों में आवेदन खारिज हो गए। इसके लिए ऑपरेटर्स को पेनल्टी देनी पड़ी जिसका उन्हें कोई पुख्ता सबूत भी नहीं दिया गया। समिति ने मांग की है कि उक्त विषयों पर गंभीरता पूर्वक विचार कर समाधान कर यथासंभव सहायता करें।

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Manoj Mishra

Editor in Chief

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