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पाकिस्तान में जन्मा था वहीदा रहमान का ये हीरो, हेमा मालिनी की जिसने लगाई थी क्लास, एक्टर-डायरेक्टर बन रचा इतिहास

नई दिल्ली. सिनेमा की दुनिया के नायाब सितारे ‘भारत कुमार’ यानी मनोज कुमार आज भले ही हमारे बीच नहीं रहे हैं. लेकिन उनके किरदार आज भी लोगों के जहन में बसे हैं. उनके कुछ किरदार तो लोग आज भी नहीं भूल पाए हैं. इडंस्ट्री में वह ज्यादातर देशभक्ति वाली फिल्मों में ही नजर आते थे. अपने एक्टिंग टैलेंट और डायरेक्शन के हुनर से उन्होंने हिंदी सिनेमा पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है.मनोज कुमार ने इडंस्ट्री में साल 1957 से 1995 तक फिल्मों में काम किया. इस दौरान उन्हें हिंदी सिनेमा में उनके योगदान के लिए पद्मश्री और राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया. वेटरन एक्टर के निधन के बाद कई अभिनेताओं ने भारत सरकार से उन्हें भारत रत्न देने की अपील भी की है.

पाकिस्तान में जन्मे थे मनोज कुमार
मनोज कुमार का जन्म 24 जुलाई 1937 को पाकिस्तान के एबटाबाद में हुआ था. लेकिन भारत-पाक बंटवारे के बाद एबटाबाद पाकिस्तान में गिना जाने लगा.लेकिन बंटवारे के बाद मनोज कुमार के पिता ने एबटाबाद को छोड़ भारत की ओर रुख किया और वह अपने परिवार के साथ दिल्ली आ बसे. शुरुआत से ही वह अशोक कुमार और दिलीप कुमार की एक्टिंग को बहुत पसंद किया करते थे. उनको देखकर उन्होंने एक्टर बनने का मन बनाया था. एक्टिंग की दुनिया में आते ही उन्होंने इतिहास रच दिया.

इन एक्ट्रेसेस संग किया काम
नोज कुमार ने अपने समय की कई जानी मानी एक्ट्रेसेस के साथ हिट फिल्में दी थीं. नंदा के साथ शोर (1972), गौरी (1968), माला सिन्हाहरियाली और रास्ता (1962), अपना घर अपना देश (1968), हिमालय की गोद में (1965), सायरा बानो के साथ पूरब और पश्चिम (1970), शादी (1962), साधना के साथ वो कौन थी? (1964), आर्जू (1965), आशा पारेख के साथ उपकार (1967), साजन (1969), राखी के साथ शहीद (1965) संन्यासी (1975), हेमा मालिनी संग क्रांति (1981), रोटी कपड़ा और मकान (1974), नूतनसुजाता (1959) और वहीदा रहमान के साथ नीलकमल. लेकिन इस फिल्म में उनका स्क्रीन टाइम कम था.बता दें कि मनोज कुमार ने बतौर डायरेक्टर भी खूब नाम कमाया था. उन्होंने एक फिल्म में तो हेमा मालिनी को सारा दिन शूट पर बैठाए रखा था, और उनसे कोई काम भी नहीं कराया था. क्योंकि उन्हें पता चल गया था कि वह किसी दूसरी फिल्म की शूटिंग के लिए उनकी फिल्म छोड़कर जल्दी जाना चाहती है.

 

Manoj Mishra

Editor in Chief

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