प्याज के बंपर पैदावार के बीच शेखावाटी (चूरू, सीकर, और झुंझुनूं) के किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें हैं। थोक भाव 12 से 16 रुपए प्रति किलो तक पहुंच चुका है। गिरते भाव से लागत निकालनी तक मुश्किल हो रही है। नुकसान से बचने के चक्कर में किसानों ने समय से एक महीने पहले ही प्याज निकलवा लिए। इसलिए प्याज पका नहीं और अब इसके सड़ने की आशंका भी बढ़ने लगी है।
इतना ही नहीं, जानकार तो यहां तक कह रहे हैं कि इस तरह के प्याज का थाली का स्वाद भी बिगाड़ेंगे। समय से पहले निकलने के कारण ये प्याज मीठा होने की बजाय स्वाद में कड़वाहट घोलेंगे।
पिछले साल की तुलना में बंपर पैदावार शेखावाटी का मीठा प्याज पंजाब, हरियाणा, दिल्ली सहित अलग-अलग राज्यों में तक भेजा जाता है। शेखावाटी की मिट्टी प्याज उत्पादन के लिए बेहतर है। इसलिए यहां बड़े पैमाने पर किसान प्याज की खेती करते हैं। इस साल पैदावार भी बंपर हुई है। पिछले कुछ सालों के आंकड़ों पर गौर करें तो इस बार सबसे ज्यादा (23 हजार से ज्यादा हेक्टेयर) प्याज की बुवाई की गई है। पिछले साल 18 हजार हेक्टेयर में प्याज की खेती की गई थी। अच्छे मुनाफे के लिए किसानों ने पहले की तुलना में ज्यादा प्याज की खेती पर जोर दिया है।
भाव 12 रुपए से नीचे जाते ही होगा नुकसान सीकर के दुजोद गांव के किसान सोहनलाल ने बताया- एक किलो प्याज का उत्पादन करने में 8 से 12 रुपए तक की लागत आती है। प्याज का भाव (थोक) 15 रुपए से ज्यादा होने पर किसानों का मुनाफा पक्का हो जाता है। मगर वर्तमान में सीकर की कृषि उपज मंडी में प्याज का थोक भाव 12 से 16 रुपए किलो मिल रहा है।
अब मंडी में प्याज की आवक बढ़ने के साथ ही इनके भावों में कमी आएगी। इस डर से किसानों ने जनवरी में ही प्याज को जमीन से निकालना शुरू दिया है। अमूमन प्याज को निकालने का समय 15 फरवरी के बाद होता है। पिछले साल प्याज के थोक भाव करीब 15 से 20 रुपए किलो थे।
जमीन से जल्दी निकालने से प्याज गीला सीकर के कृषि अनुसंधान केंद्र फतेहपुर के कृषि एक्सपर्ट कैलाश वर्मा ने बताया- किसान जनवरी में ही जमीन से प्याज निकालकर मंडी में लाना शुरू कर दिए हैं। इस कारण प्याज गीला है। ऐसे में किसानों को इसे ट्रांसपोर्ट करने में भी परेशानी आएगी। प्याज 2 दिन में ही सड़ना शुरू हो जाता है। लोकल स्तर पर ही प्याज की सप्लाई हो पाना संभव है। ट्रांसपोर्ट नहीं होने से भी किसानों के मुनाफे पर असर पड़ेगा।
समय से पहले निकालने पर कड़वाहट आने लगती है कृषि अनुसंधान केंद्र फतेहपुर के कृषि एक्सपर्ट कैलाश वर्मा कहते हैं- यदि समय से पहले प्याज जमीन से निकाल लिया जाता है तो उसकी क्वालिटी पर फर्क पड़ता है। कच्चा रहने के चलते वह वापस अंकुरित होना शुरू हो जाता है। नमी के चलते उसमें डंठल निकलना शुरू हो जाता है। ऐसे प्याज को कस्टमर कम पसंद करता है। समय से पहले निकालने के चलते उसका स्वाद भी खत्म हो जाता है। उसमें कड़वाहट भी आने लगती है।
प्याज के ट्रांसपोर्ट करने से ही होगा फायदा सीकर कृषि उपज मंडी के व्यापारी झाभर कुल्हरी ने बताया- इस बार शेखावाटी में डेढ़ गुना ज्यादा प्याज की बुवाई हुई है। वर्तमान में प्याज के भाव (थोक) 17 रुपए प्रति किलो तक है। प्याज के भाव इससे कम होने पर किसानों को नुकसान होगा। दूसरे राज्यों में प्याज नहीं जाएगा तो रेट भी अच्छा नहीं मिलेगा।
लेबर से लेकर कीटनाशक-खाद तक महंगे हुए कुड़ली (सीकर) के किसान गणेश भामू ने बताया- पहले प्याज की बुवाई करने के लिए 2800 से 3000 हजार रुपए प्रति बीघा के हिसाब से लेबर मिलती थी। इस बार वही लेबर 3500 से 5000 रुपए तक मिल रही है। कटाई के लिए पहले 3500 से 4000 रुपए का खर्च प्रति बीघा के हिसाब से आता था। अब वही 7 से 8 हजार रुपए प्रति बीघा लग रहे हैं। इसके साथ ही कीटनाशक और दवाइयों के दाम भी बढ़े हैं।
किसान बोले- पिछले साल की तुलना में ज्यादा बुवाई की कुड़ली (सीकर) के किसान गणेश भामू कहते हैं- पिछले साल प्रति किलो के हिसाब से प्याज की लागत 6 से 8 रुपए थी। वह अब 8 से 12 रुपए प्रति किलो हो चुकी है। इसलिए भाव नीचे आने पर नुकसान होना तय है। पिछले साल मैंने करीब 5 बीघा खेत में प्याज की खेती की थी। इस बार 8 बीघा में प्याज की बुवाई की थी।
नेहरू पार्क (सीकर) एरिया के किसान मालाराम ने बताया- पिछली बार 8 बीघा में प्याज की खेती की थी। इस बार 2 बीघा और खेत किराए पर लेकर कुल 10 बीघा में प्याज की बुवाई की है। इस बार प्याज की बंपर पैदावार हुई है। इससे तय है कि भाव गिरेंगे।
15 रुपए भाव आते लगने लगा डर किसान धन्नाराम ने बताया- पिछले साल जमीन से प्याज मार्च महीने में निकाला था। उस समय 25 रुपए से ज्यादा तक भाव मिले थे। इस बार जनवरी महीने में ही यह 15 रुपए के आस-पास हो चुके हैं। इससे कम भाव होने का सोचकर भी डर लगता है। इस कारण फसल को अभी से ही निकालना शुरू कर दिया है। इस बार 5 से 8 बीघा में प्याज की खेती की है।
पिछले साल प्याज के रेट 40 रुपए तक मिले थे सीकर के दुजोद गांव के किसान सोहनलाल ने बताया- इस बार 23 बीघा में प्याज की खेती की थी। बाजार भाव को देखते हुए नुकसान का डर सताने लगा है। इस कारण तय समय से पहले ही जमीन से प्याज निकालकर मंडी में बेचना शुरू कर दिया है। अभी 15 से 17 रुपए तक का ही भाव मिल पा रहा है।
पिछले साल इस समय 30 से 40 रुपए प्याज के भाव थे। मार्च महीने में जब तकरीबन सभी किसानों का प्याज एक साथ बाजार में आएगा। तब भाव कम होने का डर है। हमारी सरकार से मांग है कि प्याज का अच्छा भाव दिलाया जाए। इसके साथ ही न्यूनतम मूल्य घोषित किया जाए।
शेखावाटी का प्याज मीठा क्यों? सीकर के कृषि अनुसंधान केंद्र फतेहपुर के कृषि एक्सपर्ट कैलाश वर्मा ने बताया- सीकर के ज्यादातर इलाकों में मिट्टी बलुई है। इस मिट्टी में हवा का आदान-प्रदान ठीक तरह से होता है। इसके साथ ही प्याज की फसल को पर्याप्त मात्रा में पानी भी मिल पाता है। यही कारण है कि अन्य क्षेत्रों की तुलना में सीकर इलाके का प्याज काफी ज्यादा मीठा होता है।