उज्जैन. हिंदू धर्म में दिवाली को ‘दीपों की रोशनी’ का पर्व माना जाता है. पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि पर दीपावली मनाई जाती है. इस दिन पूरे देश को दीयों की रोशनी से रोशन करते हुए धन की देवी मां लक्ष्मी और भगवान गणेश को पूजा जाता है. दिवाली के इस पर्व पर खरीददारी का भी विशेष महत्व रहता है. वैसे तो दिवाली के पहले से ही लोग खरीददारी शुरू कर देते है, लेकिन कुछ खास वस्तुएं होती हैं, जिन्हें खास दिन पर ही खरीदा जाता है, क्योंकि इनका महत्व भी खास होता है. आइए जानते हैं उज्जैन के पंडित आनंद भारद्वाज से विस्तार से.दिवाली से एक दिन पहले धनतेरस मनाया जाता है. इस दिन सोना-चांदी, बर्तन, वाहन इत्यादि वस्तुएं खरीदी जाती हैं. शास्त्रों के मुताबिक, इस दिन खरीदी करने से धन के देवता कुबेर प्रसन्न होते हैं और धन की वर्षा करते हैं. क्या आप जानते हैं कि इस दिन झाड़ू क्यों खरीदी जाती है, तो चलिए आपको बताते हैं कि आखिर झाड़ू किस लिए खरीदी जाती है और इसका क्या महत्व होता है.जरूर खरीदना चाहिए इस दिन झाड़ूधनतेरस के दिन झाड़ू खरीदने को लेकर एक और मान्यता यह है कि ऐसा करने से माता लक्ष्मी घर छोड़कर नहीं जाती हैं. इसके साथ कुछ लोग मानते हैं कि इस दिन झाड़ू घर लाने से पुराने कर्ज से मुक्ति मिल जाती है और घर में सकारात्मता का प्रसार होता हैटूटी हुई झाड़ू इस्तेमाल करें या नहींबहुत लोग टूटी हुई झाड़ू से भी काम लेते रहते हैं. लेकिन वास्तु शास्त्र के अनुसार अगर घर की झाड़ू काफी पुरानी हो गयी है और टूट रही है. तो इसको घर में रखने की जगह हटा देना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि पुरानी टूटी हुई झाड़ू घर में निगेटिव एनर्जी लेकर आती है. जिसकी वजह से आपके घर और जीवन में दिक्कतें बढ़ सकती हैं.पुरानी झाड़ू कब करें घर से बहारबहुत से लोग पुरानी-टूटी झाड़ू को कभी भी घर से बाहर फेंक देते हैं, तो बता दें कि ऐसा करने से आपको बचना चाहिए. पुरानी झाड़ू को घर से बाहर फेंकने के लिए शनिवार और अमावस्या का दिन उपयुक्त माना जाता है. इसके साथ ही आप पुरानी झाड़ू को ग्रहण पड़ने के बाद या फिर होलिका दहन होने के बाद भी घर से बाहर फेंक सकते हैं. इस तरीके से घर में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा भी झाड़ू के साथ बाहर चली जाती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ने लगता है.
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