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अवैध अतिक्रमण पर गरजा रेलवे का बुलडोजर, नोकझोंक के बीच खाली कराए गए 35 साल पुराने 50 कब्जे

रेलवे ने सिटी स्टेशन के सामने से अफीम फैक्ट्री तक अवैध कब्जे को खाली कराया। इस दौरान रेलवे ने लगभग 50 कब्जेदारों से अतिक्रमण हटवाया। चेतावनी दी कि रेलवे की जमीन पर कब्जा करने पर मुकदमा दायर कर कार्रवाई की जाएगी। जिसने भी रेलवे की जमीन पर अवैध रूप से कब्जा कर रखा है वह हटा लें अन्यथा जल्द ही नोटिस जारी कर हटाया जाएगा

आवंटित दुकानदार अपने क्षेत्र में ही रहें। कब्जा करने पर कार्रवाई की जाएगी व स्थाई व अस्थाई निर्माण को गिरा दिया जाएगा।

पीडब्ल्यूआइ शिशिर सिंह, रेलवे के अधिवक्ता वनबिहारी सिंह, नायब तहसीलदार पंकज उपाध्याय, आरपीएफ प्रभारी अमित राय, आइओडब्ल्यू कमलेश सिंह, कोतवाल दीनदयाल पांडेय, जंगीपुर इंचार्ज शैलेंद्र प्रताप सिंह, कमलेश सिंह सहित अन्य थानों की पुलिस, वाराणसी व औड़िहार से आई आरपीएफ की फोर्स तथा एक बटालियन पीएसी ने मोर्चा संभले रखा।

स्टेशन पर होती रही दुकानदारों व फोर्स के बीच झड़प

रेलवे विभाग ने अपनी जमीन को खाली कराने के लिए सिटी रेलवे स्टेशन के सामने से लगभग 12 दुकानों का कब्जा हटाया। इस दौरान दुकानदारों व फोर्स तथा आइओडब्ल्यू के साथ बहस होती रही। लोग अपने कोर्ट का कागज दिखाते रह गए लेकिन रेलवे की जमीन होने के कारण रेलवे के अधिकारियों व फोर्स ने एक नहीं सुनी और अपनी जमीन पर से कब्जे को हटा दिया।

कचहरी पर हटाए गए 10 कब्जा

कचहरी पर स्थित रेलवे ट्रेनिंग सेंटर के सामन लोगों द्वारा रेलवे की जमीन पर किए गए अवैध लगभग 10 कब्जे को हटाया गया। इस दौरान स्थाई व अस्थाई निर्माण को जेसीबी के माध्यम से धराशायी कर दिया गया। लोगों के बीच अफरा-तफरी मची रही। लोगों ने नोटिस के बाद भी पहले से कब्जे काे नहीं हटाया था

 

लंका पर तोड़ी गई 20 दुकानें

लंका पर आवंटन से अधिक किए गए कब्जे को रेलवे ने तोड़ कर हटा दिया। लंका बस स्टैंड की ओर बस स्टैंड की आड में कुछ लोगों ने अवैध रुप से कब्जा कर रखा था। उसे पूरी तरह से धराशायी कर दिया गया। कब्जा हटाने के दौरान लंका पर जाम की स्थिति बनी रही।

तमाशबीन बनी रही जनता

कब्जा हटाए जाने के दौरान स्टेशन से लेकर अफीम फैक्ट्री तक जनता तमाश्बीन बनी रही। शायद ही कोई ऐसा था जो इस मार्ग से जाते समय अपनी गाड़ी या साइकिल में एक बार ब्रेक न लगाया हो।

दुकानदारों व अवैध कब्जेधारियों को बाहर निकालने में लगी रही फोर्स

कब्जा हटाए जाने के दौरान फोर्स कब्जा किए गए मकान या जमीन पर से लोगो को बाहर निकालने में लगी रही। लोग जल्दी कब्जा छोड़कर बाहर निकलने को तैयार नहीं थे। दुकानदारों के समान उसी दुकानों में ही दब कर मलबा बन गए।

112 वर्ष पुरानी है गाजीपुर सिटी से अफीम फैक्ट्री की रेललाइन

गाजीपुर में सिटी रेलवे स्टेशन की 1912 में स्थापना होने के बाद अफीम फैक्ट्री तक लाइन को बिछाया गया, जिससे बाहर से आने वाले कच्चे माल व फैक्ट्री में तैयार होने वाले माल को ले आने व ले जाने में आसानी हो। इस लाइन का प्रयोग लगभग 1990 तक किया गया। इसके बाद इसका प्रयोग बंद कर दिया गया।

जब लाइन का प्रयोग बंद हो गया तो लोग धीरे-धीरे इस पर कब्जा करने लगे और सिटी रेलवे स्टेशन से लेकर अफीम फैक्ट्री तक अवैध रुप से कब्जा कर लिया। जिसे रेलवे अब खाली करा अपनी जमीन में बाउंड्री करा रही है। रेलवे की अफीम फैक्ट्री तक पाच लाख स्क्वायर फीट से अधिक की जमीन है। इसमें से कुछ जमीन रेलवे ने किराए पर दे रखा है

1820 में स्थापित हुई थी जनपद में अफीम फैक्ट्री

सरकारी अफीम और अल्कलाइड वर्क्स दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे पुरानी अफीम फैक्ट्री है। यह 45 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है और उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में गाजीपुर में गंगा नदी के ऊंचे तट पर स्थित है। अफीम फैक्ट्री की स्थापना वर्ष 1820 में की गई थी।

 

 

Manoj Mishra

Editor in Chief

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