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वेदांता एल्यूमिनियम ने नीति आयोग की सहभागिता में रैड् मड युटिलाइज़ेशन के विषय पर रणनीतिक सत्र की मेजबानी की

पूरे भारत के शीर्ष अनुसंधान संगठनों और अग्रणी एल्यूमिनियम उत्पादकों के विशेषज्ञों ने रैड् मड के संवहनीय अनुप्रयोगों की पहचान करने के लिए विचार विमर्श किया
नीति आयोग ने रैड् मड की पहचान स्केडियम के स्त्रोत के तौर पर की है जिससे रेयर अर्थ ऑक्साइड्स के मामले में भारत को आत्म-निर्भर बनाने में प्रगति होगी

भारत की सबसे बड़ी एल्यूमिनियम उत्पादक वेदांता एल्यूमिनियम ने नीति आयोग एवं प्रमुख राष्ट्रीय संस्थानों की सहभागिता में, हाल ही में, एक उच्च स्तरीय बैठक आयोजित की जिसका उद्देश्य था रैड् मड के संवहनीय अनुप्रयोगों की पहचान करना; काबिले गौर है कि रैड् मड -एल्यूमिनियम बनाने के लिए की जाने वाली- बॉक्साइट रिफाइनिंग प्रक्रिया का एक बाय-प्रोडक्ट है।

नीति आयोग और वेदांता के विशेषज्ञों के साथ इस बैठक में वैज्ञानिकों एवं विषय विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया जिनका संबंध विभिन्न संस्थानों से था जैसे नेशनल मेटालर्जिकल लेबोरेट्री (एनएमएल) और इंस्टीट्यूट ऑफ मिनरल्स एंड मेटेरियल्स टेक्नोलॉजी (आईएमएमटी) जो कि वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद के अंतर्गत है तथा जवाहरलाल नेहरु एल्यूमिनियम रिसर्च एंड डिजाइन सेंटर, नागपुर।

ये सभी विशेषज्ञ निगरानी व संचालन समिति की 8वीं संयुक्त बैठक में एकत्र हुए थे, जिस परियोजना के लिए यह बैठक हुई उसका शीर्षक था ’’टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट फॉर हॉलिस्टिक युटिलाइज़ेशन ऑफ रैड् मड फॉर ऐक्स्ट्रैक्शन ऑफ मेटालिक वैल्यूज़ एंड रेसिड्यू युटिलाइज़ेशन’’। एल्यूमिनियम का मुख्य अयस्क है बॉक्साइट, इसके मध्यवर्ती शोधन चरण को ’बेयर प्रोसैस’ कहते हैं जिससे एल्यूमिना निकलता है, फिर एल्यूमिना का इलेक्ट्रोलाइसिस करने पर एल्यूमिनियम का उत्पादन होता है। एल्यूमिना बनाने की प्रक्रिया के दौरान बॉक्साइट का अवशेष उत्पन्न होता है जिसे रैड् मड कहते हैं।

इस एक दिवसीय सत्र में इस मुद्दे पर ध्यान केन्द्रित किया गया कि अन्य उद्योगों में अनुसंधान, विकास और वाणिज्यीकरण द्वारा रैड् मड का प्रभावी उपयोग किया जाए। संयुक्त परियोजना के परीक्षण चरण का सफल समापन होने जा रहा है, तो इस सत्र में नई खोजों, योजना विस्तार, रणनीतिक रोडमैप और परियोजना की व्यावसायिक व्यवहार्यता पर चर्चाएं हुईं।

रेयर अर्थ ऑक्साइड्स (आरईओ) में भारत का आत्म निर्भर बनाने के लिए नीति आयोग ने रेयर अर्थ निष्कर्षण के लिए अनेक द्वितीयक संसाधनों की पहचान की है। गौर तलब है कि रैड् मड स्कैन्डियम का अत्यंत संभावनाशील स्त्रोत है, जो कि बॉक्साइट से भी अधिक समृद्ध है। वेदांता एल्यूमिनियम सरकार, ऐकेडीमिया व उद्योग जगत के साथ मिलकर काम कर रही है ताकि रैड् मड के संपूर्ण उपयोग हेतु तकनीकी समाधान विकसित किए जा सकें, जिसमें स्कैन्डियम निष्कर्षण हेतु देशीय संसाधन भी शामिल है। इस परियोजना में शामिल पक्षों ने 10 किलोग्राम के सैम्पल साइज़ से पिग आयरन, एल्यूमिना, टाइटेनिया और रेयर अर्थ ऑक्साइड्स के निष्कर्षण की प्रभावी एवं आर्थिक रूप से व्यावहारिक तकनीक सफलतापूर्वक विकसित की है। अब इस पर ध्यान दिया जा रहा है कि इसका पैमाना बढ़ाया जाए और बड़ी मात्रा में इसकी आर्थिक व्यवहार्यता को प्रदर्शित किया जाए।

इस परियोजना से नई संभावनाएं बड़ी मजबूती से सामने आई हैं और सार्वजनिक अनुसंधान संगठनों व निजी उपक्रमों के बीच सहयोग से इन संभावनाओं को हकीकत बनाया जा सकता है।

इस मौके पर अपने विचार व्यक्त करते हुए वेदांता एल्यूमिनियम के सीईओ श्री जॉन स्लेवन ने कहा, ’’वैश्विक ऊर्जा परिवर्तन में क्रिटिकल मिनरल केन्द्रीय भूमिका निभाते हैं, इससे हमारी धरती के लिए एक सस्टेनेबल भविष्य के निर्माण में बेहद अहम योगदान मिलता है। हम भारत के अग्रणी प्राकृतिक संसाधन उत्पादक के तौर पर अपनी विशेषज्ञता का निर्माण कर रहे हैं और इसके साथ ही हम क्रिटिकल मिनरल, टेक्नोलॉजी व नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में भी अग्रणी बन रहे हैं। सहयोग एवं आविष्कार हेतु सार्वजनिक अनुसंधान संस्थानों एवं उद्योग के साथियों के साथ हम भागीदारी के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह पहल हमारे उन प्रयासों का पुख्ता उदाहरण है जिनके जरिए हम सर्कुलर अर्थव्यवस्था की पहचान कर रहे हैं जिससे खनन, धातु एवं विनिर्माण क्षेत्रों में जिम्मेदार कारोबारी विधियों में योगदान दिया जा सके।’’

उन्नत एल्यूमिनियम अलॉय बनाने के लिए स्कैन्डियम बेहद अहम है जिसका इस्तेमाल रक्षा, एयरोस्पेस, समुद्री परिवहन एवं ऑटोमोटिव सेक्टर में किया जाता है। भारत के पास अभी इन खनिजों के प्राथमिक स्त्रोतों की कमी है। इन द्वितीयक संसाधनों का दोहन कर के वेदांता एल्यूमिनियम नवाचार को आगे बढ़ा रही है और भारत को आत्म निर्भरता की दिशा में ले जा रही है।

इस परियोजना की सफलता पर वेदांता के योगदान को सराहते हुए नीति आयोग के सदस्य डॉ आर सर्वनाभवन ने कहा, ’’भारत के कुल बॉक्साइट भंडार का लगभग 50 प्रतिशत ओडिशा में है। एल्यूमिनियम उद्योग की उन्नति हेतु रैड् मड की प्रभावी संभाल, भंडारण, प्रयोग व प्रबंधन की विधियां विकसित करने की बहुत जरूरत है। मैं वेदांता और सभी सहयोगियों की सराहना करता हूं जिनके सम्मिलित प्रयासों से रैड् मड के संपूर्ण उपयोग हेतु अनुसंधान किया जा रहा है। यह प्रयास अनुसंधान एवं नवाचार में एक अहम ब्रेकथू् है जो दुनिया भर की प्राथमिक एल्यूमिनियम कंपनियों के लिए बहुत फायदेमंद साबित होगा।’’

वेदांता लिमिटेड की इकाई वेदांता एल्यूमिनियम भारत की सबसे बड़ी एल्यूमिनियम उत्पादक है। वित्तीय वर्ष 23 में 22.9 लाख टन उत्पादन के साथ कंपनी ने भारत के कुल एल्यूमिनियम का आधे से ज्यादा हिस्सा उत्पादित किया। यह मूल्य संवर्धित एल्यूमिनियम उत्पादों के मामले में अग्रणी है जिनका उपयोग कई अहम उद्योगों में किया जाता है। वेदांता एल्यूमिनियम को एल्यूमिनियम उद्योग में एस एंड पी ग्लोबल कॉर्पोरेट सस्टेनेबिलिटी असैसमेंट 2023 में पहली वैश्विक रैंकिंग मिली है, यह उपलब्धि कंपनी की सस्टेनेबल विकास प्रक्रियाओं को प्रतिबिम्बित करती है। भारत में अपने विश्वस्तरीय एल्यूमिनियम स्मेल्टर्स और एल्यूमिना रिफाइनरी के साथ कंपनी हरित भविष्य के लिए विभिन्न कार्यों में एल्यूमिनियम के प्रयोग को बढ़ावा देने और इसे ’भविष्य की धातु’ के रूप में पेश करने के अपने मिशन में लगातार आगे बढ़ रही है। www.vedantaaluminium.com

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