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आज अंतरिक्ष की यात्रा कर इतिहास रचेंगे गोपीचंद, 40 साल बाद होगा ऐसा

नई दिल्ली (एजेंसी)। भारतीय मूल के पायलट गोपीचंद थोटाकुरा 19 मई को इतिहास रचने वाले हैं। भारतीय समयानुसार मिशन की उड़ान का समय शाम 7 बजे रखा गया है। वह जेफ बेजोस के स्वामित्व वाली कंपनी ब्लू ओरिजिन की कमर्शियल अंतरिक्ष यात्रा का हिस्सा हैं, जो आज शाम को उड़ान भरेगी। ब्रह्मांड की इस यात्रा में पायलट के तौर पर गोपीचंद को चुना है। वह अंतरिक्ष की उड़ान भरते ही ऐसा करने वाले दूसरे भारतीय होंगे। इससे पहले 1984 में राकेश शर्मा ने यह कारनामा किया था।

संयुक्त राज्य अमेरिका में रहने वाले गोपीचंद को ब्लू ओरिजिन के न्यू शेपर्ड-25 (एनएस-25) मिशन के लिए चालक दल में चुना गया है। उनके अलावा चालक दल में दुनिया भर के पांच अन्य अंतरिक्ष यात्री भी हैं। यह मिशन न्यू शेपर्ड कार्यक्रम के लिए सातवीं मानव उड़ान और इतिहास में 25वां मिशन है। गोपीचंद की यात्रा बतौर भारतीय बहुत मायने रखती है। क्योंकि अप्रैल 1984 में रूसी सोयुज टी-11 अंतरिक्ष यान पर सवार राकेश शर्मा की ऐतिहासिक यात्रा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले वह दूसरे भारतीय बन जाएंगे। गोपीचंद 31 व्यक्तियों की उस स्पेशल टीम का हिस्सा हैं, जिसे कर्मन रेखा को पार करना है। यह रेखा पृथ्वी के वायुमंडल और बाह्य अंतरिक्ष के बीच की सीमा है।

गोपीचंद थोटाकुरा कौन हैं?
आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में जन्मे गोपीचंद आज 30 साल के हैं। वह एक उद्यमी और कुशल पायलट हैं। ब्लू ओरिजिन वेबसाइट के मुताबिक, गोपीचंद एक पायलट और एविएटर है। जिन्होंने सड़क पर गाड़ी चलाने से पहले ही हवाई उड़ान भरना शुरू कर लिया था। वह कमर्शियली जेट उड़ाने के अलावा, बुश, एरोबेटिक और सीप्लेन के साथ-साथ ग्लाइडर भी उड़ा चुके हैं। वह एक अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जेट पायलट के रूप में भी काम कर चुके हैं।

अपनी विमानन उपलब्धियों के अलावा, एम्ब्री-रिडल एरोनॉटिकल यूनिवर्सिटी से स्नातक पूरा कर चुके गोपीचंद यात्रा के शौकीन हैं। उन्होंने माउंट किलिमंजारो पर सफलतापूर्वक चढ़ाई की है।गोपीचंद की यात्रा बतौर भारतीय बहुत मायने रखती है। क्योंकि अप्रैल 1984 में रूसी सोयुज टी-11 अंतरिक्ष यान पर सवार राकेश शर्मा की ऐतिहासिक यात्रा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले वह दूसरे भारतीय बन जाएंगे। गोपीचंद 31 व्यक्तियों की उस स्पेशल टीम का हिस्सा हैं, जिसे कर्मन रेखा को पार करना है। यह रेखा पृथ्वी के वायुमंडल और बाह्य अंतरिक्ष के बीच की सीमा है।

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