सरगुजा: मोंथा चक्रवात का असर सरगुजा जिले में दिखने लगा है, मौसम में नमी और रुक रुक कर बारिश हो रही है. ये बेमौसम की बारिश किसान के खेतों में कहर बरसा रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि सरगुजा के पठारी इलाकों में टाऊ और आलू की खेती अधिक मात्रा में होती है, लेकिन बारिश की वजह से ये दोनों ही फसलें बर्बाद होने की कगार पर हैं.इन फसलों को कम पानी की होती है जरूरत:आलू तो लगभग तैयार होने की स्थिति है और टाऊ का तो फ्लावरिंग और हार्वेस्टिंग का समय आ चुका है, ऐसे में बारिश से इन फसलों को खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है. दरअसल, इन दोनों ही फसलों को बेहद कम पानी की जरूरत होती है और यही वजह है की इन फसलों को पठारों में लगाया जाता है. अब बारिश के चलते पौधे पानी के वजन से झुक जा रहे हैं, जिसके कारण फूल ख़राब हो रहे. साथ ही सीड तैयार पौधों पर तो सीधा ही इसका असर पड़ता है.
टाऊ की फसल में इस साल बहुत नुकसान हुआ है. पूरी फसल सो गई है पानी के कारण, आलू की फसल भी नुकसान में है, धान में भी जो फसल पक चुकी है उसके सड़ने की आशंका है, जो टाऊ में फल आने का टाइम है उसमें बारिश के कारण अब फल नहीं लगेगा- किसान अवध किशोर यादव
हजारों-लाखों का नुकसान:किसान बताते हैं कि, इस सीजन में धान, टाऊ और आलू लगाया जाता है. इस साल की बारिश में आलू भी नहीं हो पाया है, अवध किशोर कहते हैं कि, आलू की फसल में करीब 50-60 हजार का नुकसान हुआ और टाऊ भी बर्बाद ही है उसमें भी करीब डेढ़ लाख का नुकसान हो जाएगा.
बेमौसम बारिश से धान का भी नुकसान हुआ है, धान की फसल आधी पकी थी और पौधा सो गया है, अब चावल में क्वालिटी नहीं आएगी, करीब आधा नुकसान है, आलू और टाऊ में भी बहुत नुकसान होगा- किसान मनोज यादव
कृषि वैज्ञानिक का क्या कहना है?:एक्सपर्ट राहुल गुप्ता कहते हैं कि, अभी जो साइक्लोन की वजह से लगातार वर्षा हो रही है इसका प्रभाव आलू और टाऊ के लिए बहुत ही खराब है. फसल जो काटने की स्थित में है वो पूरी तरह से खराब हो जायेगी और आलू भी जब ज्यादा वृष्टि होती है तो उसको आलू के ट्यूबर्स नहीं सह पाते हैं. टाऊ कम अवधी की फसल है जो 90 दिन में तैयार हो जाती है और अभी वो काटने की अवस्था में है तो जैसे ही उसमें बारिश होने से उसमे लाजिंग होने का ख़तरा होता है और फंगल इन्फेक्शन का खतरा होता है.
किसानों के लिए सबसे पहले सलाह है कि जब अधिक वर्षा होती है तो जल निकासी का समुचित प्रबंधन सभी को करना चाहिए ताकी खेत में पानी कहीं से भी ना रुके. दूसरा काम ये करना है कि जो बैंडिंग या लाजिंग हो चुकी है उसको तुरंत काट लेना है और काटकर के उसको सुखाना है. नहीं तो खेत में कीट और बीमारी आ जाएगी- राहुल गुप्ता, कृषि वैज्ञानिक
फसल बचाने के लिए सलाह: आगे एक्सपर्ट बताते हैं कि, आलू जब हम काटते हैं और उसमें कई बार कालापन दिखता है, वो अधिक पानी की वजह से ही होता है. जिसे हाईपोक्सिया कहते हैं. आलू में किसी फंगीसाइड का उपयोग कर सकते हैं. दूसरा है प्री मेच्योर हार्वेस्टिंग, अगर आपको लगता है की आलू थोड़ा भी हार्वेस्ट करने के लायक हो गया है तो आपको बिलकुल भी इंतजार नहीं करना है, तुरंत ही आलू को हार्वेस्ट कर लेना है. टाऊ की फसल को बचाने के लिए न्युट्रेन सप्लीमेंट दे सकते हैं, दूसरे की बात मैं नहीं करूंगा लेकिन नाइट्रोजन का सप्लीमेंट आप दे सकते हैं.
बलरामपुर जिले में भी ऐसा ही हाल:बेमौसम लगातार हो रही बारिश से बलरामपुर में भीधान सहित अन्य फसलों को नुकसान हुआ है. धान अब पककर तैयार हो गई थी और किसान धान की कटाई शुरू कर चुके थे लेकिन इसी बीच मूसलाधार बारिश शुरू हो गई. इससे धान की फसल खराब होने लगी है जिससे किसानों की चिंता बढ़ गई है.
बीज खरीदे, खाद खरीदे, मजदूर खोजिए अपने से लगाइए और सब कुछ करने के बाद अगर प्रकृति धोखा दे दे तो किसान क्या करेगा किसान तो रोड पर आ जाएगा- किसान अशोक कुशवाहा
4-5 दिन से हो रही बेमौसम बारिश से किसान परेशान हो गए हैं. फसल के अंतिम पड़ाव में इस तरह बारिश से नुकसान बढ़ गया है.





