कुछ लोग कहते हैं विदेश में सब कुछ बेहतर होता है पैसे, काम, जिंदगी का अनुभव. लेकिन क्या सच में वहां हर चीज मिल जाती है? जिगीशा सीक्रट की कहानी इस सवाल का जवाब देती है. किशोरावस्था में घर छोड़कर लंदन गई जिगीशा ने पांच साल की अपनी जिंदगी में सबकुछ देखा और सीखा. अब भारत लौटकर उन्होंने अपने अनुभव और भावनाओं को सोशल मीडिया पर साझा किया, जिससे कई लोगों के दिल छू गए.
लंदन में पांच साल का सफर
जिगीशा ने लिखा कि लंदन में 5 साल बिताने के बाद, मैं घर लौट आई हूं. पांच साल. 1,825 दिन. जीवन को बढ़ते हुए देखना ऐसा लगता है कि मानो पलक झपकते ही बीत गया. मैंने 19 साल की उम्र में भारत छोड़ा था, बमुश्किल ही जानती थी कि मैं कौन हूं, अपने सूटकेस से भी बड़े सपने लेकर. लंदन ने न सिर्फ मेरा स्वागत किया, बल्कि मुझे बड़ा किया. उनके शब्दों में ये साफ झलकता है कि विदेश में बिताए गए समय ने उन्हें सिर्फ अनुभव ही नहीं दिए, बल्कि अपनी पहचान और आत्मविश्वास भी सिखाया. नीचे जिगीशा का पोस्ट देख सकते हैं.
अकेलेपन और खुशियों के पल
जिगीशा ने अपने समय के उतार-चढ़ाव को बड़े ही खुले दिल से साझा किया. अपने पोस्ट के माध्यम से बताया कि कैसे अकेलेपन की रातें, जब सब कुछ नया और अजनबी था. दोस्त और अपने जैसो को पाने की खुशी, जिसने घर की याद दिलाई. दिल टूटने और मुश्किलों के अनुभव, जिन्होंने उन्हें कठिनाइयों से ढ़लने और मजबूती दी. छोटी-छोटी जीतें और नौकरियां, कुछ ने तोड़ा और कुछ ने बनाया. उन्होंने बताया, “बस में रोया, छोटे-छोटे फ्लैटों में नाचा, और ऐसी नौकरियां कीं जिन्होंने मुझे तोड़ा और कुछ ऐसी जिन्होंने मुझे बनाया. मुझे घर की याद आई और घर की तलाश भी हुई.”
लंदन ने दी नई पहचान
जिगीशा का कहना है कि विदेश में बिताए समय ने उन्हें सबसे बड़ा उपहार दिया है जैसे कि आत्मविश्वास और नए दृष्टिकोण. उन्होंने लिखा कि मेरा वह रूप जो निडर होकर सपने देख सकता था, गहराई से प्यार कर सकता था, और किसी भी तूफान में डटकर खड़ा रह सकता था, वहीं पैदा हुआ था. दोस्ती, अनुभव और अपनी पहचान की खोज यह सब उन्होंने लंदन में पाया.
भारत वापसी का भावनात्मक अनुभव
भारत लौटना उनके लिए सिर्फ खुशी नहीं थी. जिगीशा ने बताया कि अब जब मैं भारतीय धरती पर वापस कदम रख रही हूं, तो मैं वही इंसान नहीं हूं जो यहां से गई थी. मैं दो दुनियाओं, दो संस्कृतियों, घर के दो रूपों के टुकड़े लेकर चल रही हूं. घर वापसी की पोस्ट शेयर करने में उन्हें एक महीना लगा, ताकि वे अपने भावनात्मक बदलाव को समझ सकें. उन्होंने इसे नए अध्याय के स्वागत के रूप में बताया.
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
जिगीशा के अनुभव ने कई फॉलोअर्स को भी अपने अनुभव साझा करने पर मजबूर किया. एक यूजर ने लिखा कि अरे! मेरी भी आपकी जैसी ही कहानी है… 17 साल की उम्र में भारत छोड़ा, 5 साल यूके में रहा और फिर घर वापस आया. मैं आपके हर काम को महसूस करता हूं. एक अन्य ने कहा, “आजादी, स्वच्छता और बेहतर वेतन को छोड़कर हम भी उसी नाव पर हैं… भारत में वो सब कुछ है जो हमें यूके में नहीं मिला.” तीसरे व्यक्ति ने लिखा कि 3 महीने हो गए हैं, मैं अभी भी वास्तविकता को स्वीकार नहीं कर पा रहा हूं, लेकिन हां, आपने मेरे मुंह से शब्द निकाल दिए





