मैदानी क्षेत्र हो या पर्वतीय क्षेत्र, भारत के किसानों के लिए प्याज की फसल सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है. आमतौर पर उत्तराखंड में प्याज की बुआई अक्टूबर-नवंबर के महीने में की जाती है, जो जनवरी से मार्च के बीच तैयार हो जाती है. फरवरी महीने में प्याज की फसल बड़ी होने लगती है. इस समय किसानों को सबसे ज्यादा ध्यान रखने की आवश्यकता होती है क्योंकि थ्रिप्स कीट फसल को प्रभावित कर सकता है. इस कीट के प्रकोप से प्याज की फसल बर्बाद हो सकती है, इसलिए किसानों को विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत होती है. फरवरी के महीने में खेतों में प्याज की फसल लगाई जाती है. लेकिन कीटों और बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है. रसायनों के बजाय कुछ देसी और जैविक नुस्खे अपनाकर आप प्याज की फसल को कीटों से बचा सकते हैं और अच्छी उपज प्राप्त कर सकते हैंएक लीटर पानी में 100 एमएल नीम का तेल मिलाकर हर 7-10 दिन में छिड़काव करने से प्याज की फसल थ्रिप्स और अन्य हानिकारक कीटों से सुरक्षित रहती है. यह नुस्खा पूरी तरह जैविक होने के साथ-साथ फसल की गुणवत्ता को भी बनाए रखता है.उन्होंने आगे बताया कि लहसुन में भी औषधीय गुण पाए जाते हैं, जो प्याज की फसल को कीटों से बचाने में कारगर सिद्ध होते हैं. इसके लिए 50 ग्राम लहसुन और 2-3 हरी मिर्च को पीसकर एक लीटर पानी में मिलाना चाहिए. इस घोल को छानकर पौधों पर छिड़कने से कीटों का प्रकोप कम होता है और फसल सुरक्षित रहती है. यह उपाय पूरी तरह से प्राकृतिक और सस्ता है.इसके अलावा, गोमूत्र में भी कई औषधीय गुण होते हैं, जो कई कृषि उपचारों में लाभकारी साबित होते हैं. गोमूत्र और दही का मिश्रण फसल के लिए बेहद फायदेमंद होता है. एक लीटर गोमूत्र में 100 ग्राम दही मिलाकर इसे 3-4 दिनों तक रखने के बाद फसल पर छिड़काव करें. इससे पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और फसल स्वस्थ रहती है.वहीं उनका कहना है कि छाछ भी शरीर के लिए लाभकारी होती है, लेकिन इसके कुछ ऐसे गुण हैं जो खेतों में प्याज की फसल को फंगस से बचाने में मदद करते हैं. इसके लिए एक लीटर छाछ को पांच लीटर पानी में मिलाकर फसल पर छिड़कें. यह उपाय फसल में फंगस को बढ़ने से रोकता है और पौधों को स्वस्थ बनाए रखता हैगुड़ और उड़द की दाल का मिश्रण मिट्टी की सेहत सुधारने और पौधों को मजबूती देने में मदद करता है. 200 ग्राम गुड़ और 200 ग्राम उड़द की दाल को पांच लीटर पानी में घोलकर 24 घंटे रखने के बाद इसका स्प्रे करें. यह नुस्खा जैविक खाद के रूप में कार्य करता है और फसल की उत्पादकता को बढ़ाने में सहायक होता है.इन देसी और जैविक नुस्खों का उपयोग करके प्याज की फसल को बिना किसी रासायनिक दवाओं के कीटों से बचाया जा सकता है. इससे न केवल किसानों की लागत घटेगी बल्कि उत्पादन भी बेहतर होगा. जैविक खेती को अपनाने से प्याज की गुणवत्ता में सुधार आएगा और बाजार में इसकी मांग भी बढ़ेगी.
Back to top button