भिलाई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को अपने रेडियो कार्यक्रम मन की बात में बस्तर ओलंपिक पर बात की। पीएम मोदी ने बस्तर ओलंपिक पर बात करते हुए कहा कि क्या आप जानते हैं कि हमारे बस्तर में एक अनूठा ओलंपिक शुरू हुआ है! जी हां, पहली बार हुए बस्तर ओलंपिक से बस्तर में एक नई क्रांति जन्म ले रही है। मेरे लिए ये बहुत ही खुशी की बात है कि बस्तर ओलंपिक का सपना साकार हुआ है।
आपको भी ये जानकार अच्छा लगेगा कि यह उस क्षेत्र में हो रहा है, जो कभी माओवादी हिंसा का गवाह रहा है। बस्तर ओलंपिक का शुभंकर है ‘वन भैंसा और ‘पहाड़ी मैना। इसमें बस्तर की समृद्ध संस्कृति की झलक दिखती है। इस बस्तर खेल महाकुंभ का मूल मंत्र है। ‘करसाय ता बस्तर बरसाए ता बस्तर यानि ‘खेलेगा बस्तर जीतेगा बस्तर।
पहली ही बार में बस्तर ओलंपिक में 7 जिलों के एक लाख 65 हजार खिलाडिय़ों ने भाग लिया है। यह सिर्फ एक आंकड़ा नहीं है – यह हमारे युवाओं के संकल्प की गौरव-गाथा है। एथलेटिक्स तीरंदाजी, बैडमिंटन, फुटबॉल, हॉकी, वेट लनिफ्टिंग, कराटे, कबड्डी, खो-खो और वॉलीबाल हर खेल में हमारे युवाओं ने अपनी प्रतिभा का परचम लहराया है। कारी कश्यप जी की कहानी मुझे बहुत प्रेरित करती है। एक छोटे से गांव से आने वाली कारी जी ने तीरंदाजी में रजत पदक जीता है। वे कहती हैं बस्तर ओलंपिक ने हमें सिर्फ खेल का मैदान ही नहीं, जीवन में आगे बढऩे का अवसर दिया है।
बस्तर ओलंपिक विकास और खेल का संगम
पीएम मोदी ने कहा कि बस्तर ओलंपिक केवल एक खेल आयोजन नहीं है। यह एक ऐसा मंच है जहां विकास और खेल का संगम हो रहा है। जहां हमारे युवा अपनी प्रतिभा को निखार रहे हैं और एक नए भारत का निर्माण कर रहे हैं। मैं आप सभी से आग्रह करता हूं। पीएम मोदी ने कहा कि खेलेगा भारत जीतेगा भारत के साथ अपने क्षेत्र की खेल प्रतिभाओं की कहानियां साझा करें। पीएम मोदी ने कहा याद रखिए, खेल से, न केवल शारीरिक विकास होता है, बल्कि ये स्पोट्र्स मेन स्पीरिट से समाज को जोडऩे का भी एक सशक्त माध्यम है। तो खूब खेलिए-खूब खिलिए।
अनुशासन व कड़ी मेहनत से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं: पायल कवासी
सुकमा की पायल कवासी जी की बात भी कम प्रेरणादायक नहीं है। जेवलीन थ्रो में स्वर्ण पदक जीतने वाली पायल जी कहती हैं। अनुशासन और कड़ी मेहनत से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। सुकमा के दोरनापाल के पुनेम सन्ना जी की कहानी तो नए भारत की प्रेरक कथा है। एक समय नक्सली प्रभाव में आए पुनेम जी आज व्हीलचेयर पर दौड़कर मेडल जीत रहे हैं। उनका साहस और हौसला हर किसी के लिए प्रेरणा है। कोडागांव के तीरंदाज रंजू सोरी जी को ‘बस्तर यूथ आईकॉनÓ चुना गया है। उनका मानना है बस्तर ओलंपिक दूरदराज के युवाओं को राष्ट्रीय मंच तक पहुंचाने का अवसर दे रहा है।
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