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दो बार वापस लेना पड़ा ट्रांसफर ऑर्डर, साथी डॉक्टर कहते हैं ‘माफिया’… कौन है आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल डॉ संदीप घोष?

संदीप घोष के बारे में आरजी कर अस्पताल के प्रोफेसर और पूर्व उपाधीक्षक डॉ अख्तर अली ने कहा, ‘वह एक बहुत भ्रष्ट आदमी है. वह छात्रों को फेल करते थे, 20% कमीशन लेते थे. टेंडर के मामले में वह मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के हर काम से पैसे वसूलते थे और गेस्ट हाउस में छात्रों को शराब सप्लाई करते थे.डॉ. संदीप घोष, कोलकाता कांड के बाद सुर्खियों में आया ये नाम एक के बाद एक कई विवादों और कानूनी जांच में घिर चुका है. संदीप घोष आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल हैं. कोलकाता का ये वही अस्पताल है जहां काम करने वाली ट्रेनी डॉक्टर के साथ हैवानियत को अंजाम दिया गया. संदीप घोष का करियर भ्रष्टाचार, गैर कानूनी गतिविधियों और सत्ता के दुरुपयोग के आरोपों से घिरा रहा. अब उनका कार्यकाल सार्वजनिक और कानूनी जांच का केंद्र बिंदु बन गया है.

संदीप घोष की पूरी प्रोफाइल

कोलकाता से लगभग 80 किमी दूर स्थिति बनगांव में जन्मे और पले-बढ़े डॉ. घोष ने अपनी पढ़ाई 1989 में बनगांव हाई स्कूल से पूरी की. बाद में उन्होंने आरजी कर मेडिकल कॉलेज से मेडिकल की शिक्षा हासिल की और 1994 में ग्रेजुएट की डिग्री प्राप्त की. शुरुआती शिक्षा और व्यावसायिक यात्रा काफी अच्छी रही. हालांकि डॉ. घोष का बाद का करियर विवादों से भरा हुआ है.

बंगाल के एक अन्य अस्पताल से जुड़े एक प्रोफेसर ने ऑफ द रिकॉर्ड कहा, ‘घोष इस पोस्ट के इंटरव्यू के लिए प्रिंसिपलों की लिस्ट में 16वें स्थान पर थे. रातोरात वह लिस्ट में टॉप पर पहुंच गए और 2021 में प्रिंसिपल बन गए.’

‘पावर मिलने के बाद लोग बदल जाते हैं’

एक डॉक्टर जो संदीप घोष की बैचमेट थीं, ने नाम ना बताने की शर्त पर कहा, ‘वह आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व छात्र है. वह 1989 के बैच में था और 1994 में पास आउट हुआ. जब ​​हम कॉलेज में थे तब वह हमारा दोस्त नहीं था लेकिन हमने कभी उसे शरारती छात्र के रूप में नहीं देखा. लेकिन हो सकता है कि पावर मिलने के बाद वह बदल गया हो. पावर मिलने के बाद कई लोग बदल जाते हैं.’ डॉ. ने कहा, ‘संदीप घोष को पहली बार नेशनल मेडिकल कॉलेज के एमएसवीपी के रूप में नियुक्त किया गया था

दो बार हुआ ट्रांसफर, दोनों बार वापस लेना पड़ा आदेश

घोष के खिलाफ राज्य स्वास्थ्य विभाग को कई शिकायतें भेजी जा चुकी हैं. एक जांच भी बिठाई गई थी. नतीजा यह हुआ कि दो बार घोष का ट्रांसफर हुआ और दोनों बार वह ट्रांसफर ऑर्डर को पलटवाने में कामयाब रहा. कथित तौर पर, उनके छात्रों और इंटर्न्स के एक ग्रुप ने घोष के पक्ष में विरोध प्रदर्शन भी किया था.

बेहद गंभीर आरोप

आरजी कर मेडिकल कॉलेज में प्रिंसिपल रहने के दौरान घोष पर अक्सर गंभीर कदाचार के आरोप लगते रहे. आरोपों में वित्तीय भ्रष्टाचार से लेकर अवैध कमीशन और टेंडर हेरफेर जैसे विभिन्न माध्यमों से धन की उगाही से लेकर, पोस्टमार्टम के लिए रखी गई लाशों के गैर-कानूनी इस्तेमाल जैसे गंभीर मामले शामिल हैं. कई बार कॉलेज के स्टाफ ने स्वास्थ्य विभाग को इसे लेकर पत्र लिखा लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.

‘वो किसी माफिया तरह की है’

संदीप घोष के बारे में आरजी कर अस्पताल के प्रोफेसर और पूर्व उपाधीक्षक डॉ अख्तर अली ने कहा, ‘वह एक बहुत भ्रष्ट आदमी है. वह छात्रों को फेल करते थे, 20% कमीशन लेते थे. टेंडर के मामले में वह मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के हर काम से पैसे वसूलते थे और गेस्ट हाउस में छात्रों को शराब सप्लाई करते थे. वह किसी माफिया की तरह है, बहुत पावरफुल. मैंने उनके खिलाफ 2023 में शिकायत की थी लेकिन फिर उसके बाद मेरा ही ट्रांसफर कर दिया गया.

डॉ. अख्तर अली ने कहा, ‘मैंने 2023 में उसके खिलाफ शिकायत की थी… उनका इस्तीफा इस रेप और हत्या के बाद केवल एक दिखावा था. 8 घंटे के भीतर उन्हें कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज का प्रिंसिपल बना दिया गया था.’

सामने आया भ्रष्टाचार का पूरा पैटर्न

ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुई रेप और मर्डर की घटना से मेडिकल छात्रों और कर्मचारियों में बड़े पैमाने पर आक्रोश फैल गया, जिसके कारण घोष के इस्तीफे की मांग उठी. इस घटना ने कथित भ्रष्टाचार और गड़बड़ियों के एक पैटर्न को उजागर किया है, जिसमें पूर्व सहयोगियों और कर्मचारियों ने घोष पर संस्थान के भीतर ‘माफिया जैसा’ ऑपरेशन चलाने का आरोप लगाया.

13 घंटे तक सीबीआई ने किए सवाल-जवाब

छात्रों को जानबूझकर फेल करने और संस्थागत संसाधनों के दुरुपयोग के दावों ने उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल कर दिया है. आरजी कर मामले की जांच सीबीआई कर रही है. शनिवार को सीबीआई ने डॉ. घोष से करीब 13 घंटे तक पूछताछ की.

घोष के कथित भ्रष्टाचार की गहराई और हर बार उन्हें कार्रवाई से बचाने वाले नेटवर्क ने संस्थान की प्रतिष्ठा पर एक गहरा धब्बा लगा दिया है. कानूनी जांच और लोगों का गुस्सा इन आरोपों की गंभीरता और मामले से निपटने में पारदर्शिता और न्याय की मांग को दिखाता है.

संदीप घोष से जुड़ी इस टाइमलाइन पर नजर डालिए

2021- आर्थोपेडिक प्रोफेसर डॉ. संदीप घोष को आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के प्रिंसिपल के रूप में नियुक्त किया गया.

31 मई, 2023- डॉ घोष को मुर्शिदाबाद मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में हड्डी रोग विभाग के प्रोफेसर के रूप में ट्रांसफर करने का आदेश जारी किया गया. हालांकि, घोष ने आदेश को पलटवा दिया.

12 सितंबर, 2023- डॉ घोष को ऑर्थोपेडिक्स विभाग के प्रोफेसर के रूप में एक बार फिर मुर्शिदाबाद मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ट्रांसफर करने का आदेश जारी किया गया. एक बार फिर घोष ने उस आदेश को पलटवा दिया.

12 अगस्त, 2024- घोष को कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के प्रिंसिपल के रूप में ट्रांसफर किया गया. लेकिन छात्रों के विरोध के कारण वह सीएनएमसी में चार्ज नहीं ले पाए. बाद में हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को उन्हें छुट्टी पर भेजने का आदेश दिया. मामले में सीबीआई उनकी भूमिका की जांच कर रही है.

Manoj Mishra

Editor in Chief

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