नईदिल्ली। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्यसभा में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा का जवाब देते हुए सरकार की उपलब्धियां गिनाई। इस दौरान उन्होंने प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना के विशेष उपलब्धियों को सदन से अवगत कराया। केन्द्रीय मंत्री ने प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना को विश्व की सबसे बड़ी फसल बीमा योजना बताया और पिछले 10 वर्षों में किसानों को हुए लाभ से अवगत कराया। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस को भी घेरा और कहा कि कांग्रेस के डीएनए में ही किसानों का विरोध है।
केन्द्रीय कृषिमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि पूरे विश्व में भारत सरकार की फसल बीमा योजना सबसे बड़ी हैं। इन 10 वर्षों में इस योजना की शानदार उपलब्धियां रही हैं। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि इन 10 वर्षों में गैर-ऋणी बीमा आवेदन की संख्या 20,000 से बढ़कर 5 करोड़ हुई। गैर-ऋणी किसानों की संख्या 27 गुना बढ़ी और बीमित क्षेत्र अब 5 करोड़ 98 लाख हेक्टेयर पर कुल बीमित राशि 82,000 करोड़ से बढ़ कर 2 करोड़ 71 लाख 295 तक पहुंच गई है। कृषकों को 16,442 करोड़ प्रीमियम पर 63,617 करोड़ की क्लेम के मुकाबले अब 32,440 करोड़ प्रीमियम पर 1 लाख 64 हज़ार करोड़ का क्लेम मिला है।
केन्द्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि हमारी छह प्राथमिकताएं हैं। उत्पादन बढ़ाना, उत्पादन की लागत घटाना, ठीक दाम देना, कृषि का विविधीकरण और आने वाली पीढ़ियों के लिए भी धरती सुरक्षित रहे इसके लिए प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने का प्रयास. ये सरकार खेती का रोडमैप बनाकर काम कर रही है। केन्द्रीय कृषिमंत्री ने बताया कि 2013-14 में कृषि का बजट 27664 करोड़ रुपये था जो बढ़कर आज एक लाख 32 हजार करोड़ है। इसमें फर्टिलाइजर, सहकारिता, डेयरी, फिशरीज इन सबको जोड़ दिया जाए तो इसमें 1 लाख 46 हजार 55 करोड़ और जुड़ जाएगा। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने रिवर लिंकिंग की बात की। इसे सबसे पहले नरेंद्र मोदी ने सीएम रहते गुजरात में साकार किया और हमने मध्य प्रदेश में कई नदियों को जीवित करने का काम किया।
किसानों के हित में कई कदम
केन्द्रीय मंत्री शिवराज ने कहा कि सस्ता खाद मिले, किसान को बेहतर दाम मिले, इसके लिए अनेकों कदम उठाए गए हैं। सस्ता खाद मोदी सरकार देती रहेगी, आश्वस्त करता हूं। पानी पर कई सदस्यों ने चिंता जाहिर की थी। सूक्ष्म सिंचाई योजना लाई गई ड्रिप, स्प्रिंकल के माध्यम से नहर में बहता पानी वाष्पीकरण भी हो जाता है। पिछली सरकार को पानी का महत्व नहीं मालूम था। इस योजना में सरकार ने 23-24 तक 14-15 तक 21 हजार 615 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। उन्होंने मसूर से लेकर चना और तुअर की खरीद तक के आंकड़े गिनाए और कहा कि दलहन में आत्मनिर्भर बनना है और आयात पर निर्भरता समाप्त करना है। उन्होंने यह भी बताया सरकार ने फैसला किया है कि एमएसपी पर पूरी की पूरी खरीदी जाएगी, जितना भी किसान उत्पादन करेंगे।
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