धर्म

बैकुंठ चतुर्दशी की पूजा कब करें, जानें मुहूर्त, उपाय व पूजा की विधि

उदया तिथि के अनुसार, 4 नवंबर को बैकुंठ चतुर्दशी पर कई शुभ योग का महासंयोग बन रहा हैं। सुबह गंगा स्नान के बाद भगवान शिव का पूजन करने के बाद भगवान विष्णु का पूजन किया जाएगा।हर साल कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को बैकुंठ चतुर्दशी मनाई जाती है। पंचांग के अनुसार, कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि 4 नवम्बर को 2.06 ए एम से शुरू होकर रात में 10.36 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार, 4 नवंबर को बैकुंठ चतुर्दशी का पवित्र पर्व मनाया जाएगा। सुबह गंगा स्नान के बाद भगवान शिव का पूजन करने के बाद भगवान विष्णु का पूजन किया जाएगा। सूर्यास्त प्रदोष काल 5.27 बजे से शुरू होगा। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग का संयोग बन रहा है। ये दिन भगवान शिव और भगवान विष्णु के एकत्व का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव ने स्वयं भगवान विष्णु से बैकुंठ धाम का मार्ग प्राप्त किया था। इसलिए इस तिथि को बैकुंठ चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है।

बैकुंठ चतुर्दशी की पूजा कब करें, जानें मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त: 04:51 ए एम से 05:43 ए एम

अभिजित मुहूर्त: 11:43 ए एम से 12:26 पी एम

विजय मुहूर्त: 01:54 पी एम से 02:38 पी एम

गोधूलि मुहूर्त: 05:34 पी एम से 06:00 पी एम

 

अमृत काल: 10:25 ए एम से 11:51 ए एम, 03:20 ए एम, नवम्बर 05 से 04:45 ए एम, नवम्बर 05

निशिता मुहूर्त: 11:39 पी एम से 12:31 ए एम, नवम्बर 05

 

अमृत सिद्धि योग: 12:34 पी एम से 06:36 ए एम, नवम्बर 05

सर्वार्थ सिद्धि योग: 12:34 पी एम से 06:36 ए एम, नवम्बर 05

रवि योग: 06:35 ए एम से 12:34 पी एम

बैकुंठ चतुर्दशी पूजा की विधि

  1. स्नान आदि कर मंदिर की साफ सफाई करें
  2. भगवान श्री हरि विष्णु और शिव जी का जलाभिषेक करें
  3. शिव जी का पंचामृत सहित गंगाजल से अभिषेक करें
  4. अब विष्णु जी को पीला चंदन और पीले पुष्प अर्पित करें
  5. शिव जी को सफेद चंदन, धतूरा, बिल्व पत्र, भांग, और सफेद पुष्प अर्पित करें
  6. मंदिर में घी का दीपक प्रज्वलित करें
  7. संभव हो तो व्रत रखें और व्रत लेने का संकल्प करें
  8. ॐ नमः शिवाय, ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें
  9. पूरी श्रद्धा के साथ भगवान श्री हरि विष्णु और शिव जी की आरती करें
  10. प्रभु को तुलसी दल सहित भोग लगाएं
  11. अंत में क्षमा प्रार्थना करें

    बैकुंठ चतुर्दशी के उपाय

    1. गीता और विष्णुसहस्रनाम का पाठ करना चाहिए।
    2. ॐ नमो नारायणाय, ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र जाप भी निरंतर करना चाहिए।
    3. इस दिन दीपदान करने का विशेष महत्व है। पदम पुराण, अग्नि पुराण, महाभारत एवं भविष्य पुराण के अनुसार, युधिष्ठिर के पूछने पर भगवान कृष्ण ने इस दिन दीपदान की महिमा बताया है।
    4. इस दिन किसी गरीब और ब्राह्मण को भोजन कराकर दान देने से पितर तृप्त होते हैं।
    5. भगवान विष्णु को ऋतुफल विशेषरूप से आंवला, केला, सिंहाड़ा के साथ तुलसीदल अवश्य चढ़ाना चाहिए। इससे मां लक्ष्मी सहित भगवान विष्णु की कृपा भी प्राप्त होती है।
    6. चतुर्दशी तिथि को रात्रि जागरण कर भजन कीर्तन भी करना चाहिए।

 

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

 

 

Manoj Mishra

Editor in Chief

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button