नारायणपुर। छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में बुधवार को 16 नक्सलियों ने सरेंडर कर दिया है। सुरक्षाबलों के ऑपरेशन से घबराए नक्सली अब मुख्यधारा में लौट रहे हैं। जिन नक्सलियों ने सरेंडर किया है उनके खिलाफ 48 लाख रुपये का इनाम भी है। नक्सली माड़ डिवीजन, उत्तर ब्यूरो और कुतुल एरिया से संबंधित कैडर से थे। नक्सलियों का आत्मसमर्पण सुरक्षाबलों व पुलिस के लिए एक बड़ी सफलता मानी जा रही है। 16 नक्सलियों के सरेंडर पर छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णुदेव साय ने कहा कि बस्तर अब बदल रहा है। अब यहां विकास और विश्वास की बयार बह रही है
नारायणपुर पुलिस अधीक्षक रॉबिन्सन ने बताया कि 8 अक्टूबर को नक्सल प्रभावित माड़ डिवीजन क्षेत्र से एक और बड़ी सफलता हाथ लगी है, पुलिस अधीक्षक कार्यालय नारायणपुर में कुल 16 सक्रिय नक्सली कैडरों ने आत्मसमर्पण किया। यह आत्मसमर्पण बस्तर में नक्सल उन्मूलन अभियान के तहत एक और महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ है। वहीं बस्तर रेंज के आईजी सुन्दरराज पट्टलिंगम ने कहा कि इन 16 नक्सली कैडरों का आत्मसमर्पण इस बात का प्रमाण है कि अब बस्तर के भीतर भी परिवर्तन की बयार चल रही है, हिंसा, भय और शोषण की विचारधारा से मोहभंग होकर ये युवा अब विकास, शिक्षा और शांति की मुख्यधारा में लौटना चाहते हैं, यह कदम न केवल इन कैडरों और उनके परिवारों के लिए एक नई शुरुआत है, बल्कि बस्तर में स्थायी शांति और विश्वास की दिशा में एक बड़ा कदम भी है।
पुनर्वास से पुनर्जीवन’ अभियान से बस्तर में लौटी शांति की उम्मीद : सीएम साय
16 नक्सलियों के सरेंडर करने पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा है कि बस्तर बदल रहा है — अब यहां बंदूक और बारूद का धुआं नहीं, बल्कि विकास और विश्वास की बयार बह रही है। मुख्यमंत्री साय ने कहा कि राज्य सरकार की “आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति 2025” और “पूना मारगेम : पुनर्वास से पुनर्जीवन” जैसे मानवीय अभियानों ने उन लोगों के दिलों में आशा का दीप जलाया है, जो कभी भटककर लाल आतंक के रास्ते पर चले गए थे। मुख्यमंत्री साय ने कहा कि आज नारायणपुर जिले में 16 माओवादी कैडरों ने हिंसा का मार्ग त्यागकर मुख्यधारा में लौटने का साहसिक निर्णय लिया है।

राज्य सरकार की नीतियों पर जन-जन का विश्वास बढ़ा
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि राज्य सरकार की नीतियों पर जन-जन का विश्वास बढ़ा है और सुरक्षा बलों की दृढ़ता ने विकास और विश्वास का माहौल स्थापित किया है। यह परिवर्तन इस बात का साक्षी है कि “डबल इंजन सरकार” की नीतियां न केवल शांति ला रही हैं, बल्कि बस्तर को एक नए युग की ओर अग्रसर कर रही हैं। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि राज्य सरकार का उद्देश्य केवल नक्सलवाद को समाप्त करना नहीं, बल्कि बस्तर के हर गांव तक विकास, शिक्षा और आत्मनिर्भरता की रोशनी पहुंचाना है। आत्मसमर्पण करने वाले इन कैडरों पर कुल 48 लाख का इनाम घोषित था। उन्होंने अब शांति, शिक्षा और सम्मानपूर्ण जीवन की नई राह चुनी है।
20 महीनों में 1837 नक्सलियों ने किया सरेंडर
छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के सरेंडर करने की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इसे छत्तीसगढ़ शासन एवं भारत सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति का प्रभाव ही माना जा रहा है जिसके कारण नक्सली हिंसा का रास्ता छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौट रहे हैं। बस्तर रेंज में पिछले 20 महीनों में कुल 1,837 नक्सली कैडर हिंसा का मार्ग छोड़कर मुख्यधारा में शामिल हो चुके हैं। यह प्रत्यक्ष प्रमाण है कि छत्तीसगढ़ में सरकार किस तरह से काम कर रही है।
सरेंडर करने वाले नक्सलियों के नाम
- पोदिया मरकाम उर्फ रतन उर्फ फगनू
- मनोज दुग्गा उर्फ संकेर उर्फ शंकर उर्फ भारत
- सुमित्रा उर्फ सन्नी कुर्साम
- वनीला फरसा
- गावडे उर्फ दिवाकर
- बुधु उर्फ कमलेश उसेण्डी
- मड्डा कुंजाम उर्फ सोनारू
- रवि उर्फ गोपाल वड्डे
- कारे कोर्राम
- सोमलो कश्यप उर्फ मनीषा
- नरसू वड्डे
- सोनू जटी
- इरगू वड्डे
- बुधनी गोटा उर्फ रेश्मा
- राजे गोटा उर्फ वनिता
- मासे गोटा उर्फ ललिता
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